राशिफल

Sawan Vinayaka Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी व्रत पर बन रहा है सावन मास की अंतिम गणेश चतुर्थी अत्यंत शुभ संयोग, – Utkal Mail


Vinayaka Chaturthi 2023

प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान श्री गणेश जी को समर्पित संकष्टी अथवा विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है। बता दें कि श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 20 अगस्त के दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी व्रत के दिन भगवान श्री गणेश की उपासना करने से साधक को बल बुद्धि, सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि सावन मास में विनायक चतुर्थी व्रत 20 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा पाठ का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, विनायक चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि।

सावन विनायक चतुर्थी व्रत 2023 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग में बताया गया है कि सावन विनायक चतुर्थी व्रत के दिन हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिष शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में गिना जाता है। हस्त नक्षत्र 21 अगस्त सुबह 04:22 तक रहेगा। वहीं इस दिन साध्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। यह तीनों योग सुबह 05:53 से 21 अगस्त सुबह 04:22 तक रहेंगे। इन शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि

विनायक चतुर्थी व्रत के दिन मध्याह्न की अवधि में भगवान गणेश की पूजा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन 16 उपचारों से भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसे षडषोपचार पूजा भी कहते हैं। चतुर्थी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मध्याह्न में गणपति जी की षडषोपचार पूजा करें। इसके बाद उन्हें पंचामृत, रोली, अक्षत, जनेऊ, सिंदूर, कूश, दूर्वा, सुपारी इत्यादि अर्पित करें और लड्डू का भोग चढ़ाएं। इसके बाद आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

विनायक चतुर्थी गणेश जी मंत्र

1. वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ।।

2. गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

3. एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं ।

विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम् ।।

4. सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम् ।

सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।।




utkalmailtv

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button