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नवाज शरीफ को राजनीति से बाहर करने की कोशिशें बुरी तरह विफल : मरियम नवाज – Utkal Mail


इस्लामाबाद। पाकिस्तान में नए प्रधान न्यायाधीश के शपथ लेने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी एवं पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की वरिष्ठ नेता मरियम नवाज ने कहा कि उनके पिता को देश की राजनीति से बाहर निकालने के प्रयास बुरी तरह विफल रहे और उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायपालिका अब न्याय करेगी। न्यायामूर्ति काजी फैज ने रविवार को पाकिस्तान के 29वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 

पीएमएल-एन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मरियम ने दावा कि उनके पिता नवाज और चाचा शहबाज शरीफ को राजनीति से बाहर करने के प्रयास बुरी तरह विफल रहे हैं। मरियम को कई मौकों पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) उमर अता बंदियाल की खुलकर आलोचना करते हुए देखा गया था। इतना ही नहीं, उन्होंने उन पर पक्षपात करने और कुछ मामलों में अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) को अनुचित लाभ देने का भी आरोप लगाया था। ‘डॉन’ अखबार ने मरियम के हवाले से कहा, ‘‘न्याय का पैमाना अब सभी नागरिकों के लिए संतुलित होगा और पीएमएल-एन प्रमुख समेत अन्य पार्टी नेताओं को ‘प्रोजेक्ट इमरान’ के कार्यकर्ताओं के अन्याय से छुटकारा मिलेगा।’’ 

नवाज के छोटे भाई एवं पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी नए प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति के बाद न्याय की उम्मीद जतायी। ‘डॉन’ अखबार की खबर के अनुसार, ‘‘एक बयान में पूर्व प्रधानमंत्री ने नए प्रधान न्यायाधीश को शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि पाकिस्तान की न्यायपालिका की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नवाज शरीफ चार साल बाद 21 अक्टूबर को पाकिस्तान लौट रहे हैं और यहां उन्हें कई मुकदमों में अदालती सुनवाई का सामना करना पड़ेगा। लाहौर उच्च न्यायालय से इलाज के लिए चार सप्ताह के लिए विदेश जाने की अनुमति मिलने के बाद 73 वर्षीय नवाज नवंबर 2019 में लंदन चले गए थे। 

ऐसे में उनके लौटने के साथ तोशाखाना मामले में उनके खिलाफ सुनवाई बहाल हो सकती है। इस मामले में एक अदालत ने 2020 में उन्हें भगौड़ा घोषित कर दिया था। उन पर केवल 15 फीसदी कीमत का भुगतान करके तोशाखाना से महंगी कारें प्राप्त करने का भी आरोप है। नवाज को 2018 में अल-अजीजिया मिल्स और एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामलों में दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2019 में ‘चिकित्सा के आधार’ पर लंदन जाने की अनुमति दिए जाने से पहले वह लाहौर की कोट लखपत जेल में सात साल के कारावास की सजा काट रहे थे। 

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