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अलविदा 2023 : एमसीडी के महापौर चुनाव के दौरान हाथापाई और सदन में बार-बार हंगामे ने बटोरी सुर्खियां  – Utkal Mail

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के लिए वर्ष 2023 उतार-चढ़ाव भरा रहा। महापौर के चुनाव में देरी, कार्यकाल में कटौती और एमसीडी सदन में बार-बार हंगामे ने इस साल सुर्खियां बटोरी। हालांकि, निगम कई प्रमुख प्रस्तावों को लागू करने में भी कामयाब रहा, जिनमें मांस की दुकानों से संबंधित एक प्रस्ताव भी शामिल था। 

दिल्ली नगर निगम के उप महापौर आले मुहम्मद इकबाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि निगम ने 2023 में कई प्रस्ताव पारित किए जिससे शहरवासियों को लाभ हुआ। उन्होंने कहा कि अब निगम का ध्यान आगामी वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा दी गयी दस गारंटियों को पूरा करने पर है। सदन को बार-बार स्थगित करना, महापौर चुनाव के दौरान हाथापाई और स्थायी समिति के गठन पर हंगामा 2023 में नगर निकाय के लिए चर्चा का विषय रहा। 

उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी नीत एमसीडी 2023 में अपने नौ महीने के सफर में उन प्रस्तावों को पारित करने में सफल रही, जो पिछली सरकारों द्वारा 15 वर्षों में पारित नहीं किए गए थे।’’ इकबाल ने कहा, ‘‘हमने शहर में स्वच्छता सुनिश्चित करने, संवेदनशील स्थानों पर कचरा खत्म करने और अधिक नौकरियां पैदा करने पर काम किया।” 

इस साल अप्रैल में एमसीडी सदन में उस वक्त अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी जब एकीकृत नगर पालिका की महापौर के रूप में शैली ओबेरॉय के चुने जाने पर ‘आप’ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षद आपस में भिड़ गए। एमसीडी सदन में 14 घंटे से अधिक की अवधि में 14 बार स्थगन हुआ और यह पार्षदों के लिए युद्ध का मैदान बन गया। इस दौरान कई पार्षदों ने मारपीट की और एक-दूसरे पर मतपेटियां फेंकी। इस साल तीन महीने की देरी के बाद तीन पूर्ववर्ती निगमों के एकीकृत निकाय को अपना नया महापौर मिला। 

शैली ओबेरॉय नगर निकाय के इतिहास में एक वर्ष से अधिक समय तक सेवा देने वाली नौवीं महापौर बनीं। हालांकि, ओबेरॉय के महापौर का पद संभालने के तुरंत बाद छह सदस्यीय स्थायी समिति का गठन किया गया, जो विवादों में रही। इस साल एमसीडी सदन में महिला पार्षदों के साथ मारपीट की गई और कई सदस्यों को अस्पताल में भर्ती करवाने की नौबत आ गई। दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि भाजपा के पुरुष पार्षदों ने ओबेरॉय पर हमला किया, जिन्हें सदन स्थगित करने और सदन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिलहाल, यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। 

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