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समयसीमा में चूक, लोगों की कमी दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए चुनौतियां – Utkal Mail

नई दिल्ली। इस साल राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और अपीलीय न्यायाधिकरण में कर्मचारियों की कमी के कारण दिवाला कानून के तहत अधिकांश विवादित परिसंपत्तियों के समाधान में समयसीमा की चूक हुई। इस बीच एयरलाइन कंपनियों को भी दिवाला प्रावधानों में राहत मांगते देखा गया, हालांकि उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली।

जैसे-जैसे दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता (आईबीसी) की समयसीमा उनकी तय सीमा से आगे बढ़ी, समाधान प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों की संपत्ति मूल्य में गिरावट देखी गई। भारतीय दिवाला और ऋण अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2016 में लागू होने के बाद से इस साल सितंबर तक लेनदारों को आईबीसी के तहत समाधान के माध्यम से 3.16 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई है।

अगले साल एनसीएलटी और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फ्यूचर रिटेल, गो फर्स्ट और रिलायंस कैपिटल सहित महत्वपूर्ण कॉरपोरेट दिवाला समाधान (सीआईआरपी) को पूरा करने की उम्मीद है। नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि इस समय चल रहीं 67 प्रतिशत दिवाला समाधान प्रक्रियाएं 270 दिन की समयसीमा से चूक गईं।

जून तिमाही में, वित्तीय ऋणदाताओं के लिए समाधान में लगने वाला औसत समय तीन साल के उच्चतम 643 दिनों पर पहुंच गया। सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर अनिमेष बिष्ट ने कहा कि जून-सितंबर, 2023 के लिए आईबीबीआई तिमाही न्यूजलेटर के अनुसार सीआईआरपी समाधान योजनाओं का औसत समय परिचालन ऋणदाताओं के लिए 662 दिन और वित्तीय ऋणदाताओं के लिए 659 दिन तक बढ़ गया है, जो आईबीसी द्वारा निर्धारित 270 दिन की सीमा से अधिक है।

वर्तमान में, एनसीएलटी में 63 सदस्यों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 55 सदस्य हैं। अगस्त 2023 में सरकार ने 17 नए सदस्यों की नियुक्ति की थी। आईबीसी के लागू होने के बाद से सितंबर 2023 तक 7,058 मामले शुरू किए गए। 2,000 से अधिक सीआईआरपी मामले चल रहे हैं।

विमानन क्षेत्र ने इस साल दिवाला परिवेश तंत्र को काफी उलझाए रखा। इस दौरान आईबीबीआई ने अब बंद हो चुकी गो फर्स्ट पर संकट के मद्देनजर पट्टे पर विमान के संबंध में मानदंडों में संशोधन भी किया।

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