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इस बार इस दिन रखें शीतला अष्टमी का व्रत? साथ ही जानें पूजा का शुभ मुहर्त – Utkal Mail

शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को पर मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन पूजा के समय माता शीतला को मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है। जिन्हें चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाया जाता है। साथ ही इस दिन मां शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है और खुद भी बासी और ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि शीतला अष्टमी की पूजा करने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है। चलिए आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार कब रखें शीतला अष्टमी का व्रत और पूजा का शुभ मुहर्त क्या है।

कब है शीतला अष्टमी या बसौड़ा 2024?
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 1 अप्रैल दिन को रात 09 बजकर 09 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 2 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट पर होगा। इस तरह बसौड़ा यानी शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को रखा जाएगा।

पूजा के मुहूर्त से जुड़ी जानकारी
2 अप्रैल को शीतला अष्टमी यानी बसौड़ा के दिन आप सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शाम 06 बजकर 40 मिनट के बीच कभी भी शीतला माता की पूजा कर सकते हैं।

शीतला सप्तमी तिथि
शीतला अष्टमी से एक दिन पहले शीतला सप्तमी मनाई जाती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 31 मार्च को रात 9 बजकर 30 मिनट से 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट तक है। ऐसे में 1 अप्रैल को शीतला सप्तमी और 2 अप्रैल को बसौड़ा मनाई जाएगी।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह शीतला अष्टमी के दिन सुबह स्नान के साफ वस्त्र धारण करें। पूजा के दौरान हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें। माता को रोली, फूल, वस्त्र, धूप, दीप, दक्षिणा और बासा भोग अर्पित करें। शीतला माता को दही, रबड़ी, चावल का भी भोग लगाया जाता है। वहीं पूजा के समय शीतला स्त्रोत का पाठ करें और पूजा के बाद आरती जरूर करें। पूजा करने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।

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