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CHRISTMAS-2025: राजधानी का सबसे पुराना चर्च है क्राइस्ट चर्च – Utkal Mail


लखनऊ, अमृत विचारः राजधानी लखनऊ में क्राइस्ट चर्च सबसे पुराना चर्च है। वर्ष 1860 में रॉयल इंजीनियर्स की देखरेख में इसका निर्माण किया गया। यह चर्च राजधानी के सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर है। प्रधान डाकघर (जीपीओ) के ठीक सामने, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के बगल में और राजभवन से कुछ कदम पहले है। यह चर्च महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान गवर्नर इसी चर्च में प्रार्थना करने आते थे।

26 नवम्बर 1860 में शुरू हुए इस चर्च के निर्माण में 60 हजार रुपये खर्च हुए थे। इस चर्च का नक्शा बना था तो इसके शीर्ष पर घड़ी भी लगाई जानी थी लेकिन आर्थिक समस्या की वजह से घड़ी नहीं लग पाई। घड़ी लगाने के लिए चर्च के साथ ही एक मीनार भी बनाई गई। इस मीनार में अब अंदर के हिस्से में एक घंटा लगाया गया है, जिसकी रस्सी नीचे तक आई है। प्रार्थना के समय यह रस्सी खींचकर घंटा बजाया जाता है। क्राइस्ट चर्च से पहले रेजीडेंसी और मडियांव छावनी में चर्च थे लेकिन 1857 की क्रांति यह पूरी तरह से नष्ट हो गये। इस तरह से क्राइस्ट चर्च लखनऊ का पहला और अब सबसे पुराना चर्च बन गया है।

क्राइस्ट चर्च को अंग्रेजों के शहीद स्मारक के रूप में भी पहचाना जाता है। 1857 की क्रांति में मारे गये सेना के अधिकारियों और रेजीडेंसी में हुए हमले में सैनिकों को सुरक्षित निकालने में मदद करने वालों के सम्मान में इस चर्च में पत्थर लगाए गये हैं। भारतीय क्रांतिकारियों ने जिन अंग्रेज अफसरों को मार गिराया उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने शहीद का दर्जा दिया और उनके नाम की पट्टिकाएं भी इस चर्च में लगाईं।

क्राइस्ट चर्च को अन्दर से काफी खूबसूरत बनाया गया है। खिड़की के शीशों पर ईसा मसीह और उनकी मां मरियम की तस्वीरें उकेरी गई हैं। यह तस्वीरें बनाने में ऐसे पेंट का प्रयोग किया गया है कि 164 साल के बाद भी वह नया सा लगता है।

कैसे पहुंचें
क्राइस्ट चर्च हजरतगंज चौराहे पर ही है इसलिए पहुंचना बहुत आसान है। चारबाग रेलवे स्टेशन से बस, ऑटो या ई-रिक्शे के जरिये यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

चर्च प्रबंधन
राकेश मैसी क्राइस्ट चर्च का प्रबंधन देख रहे हैं। राकेश मैसी ने बताया कि चर्च के सदस्यों से मिलने वाले धन से क्राइस्ट चर्च का संचालन किया जाता है। यह रकम क्योंकि बहुत कम है इसलिए इसके जीर्णोद्धार में बहुत दिक्कतें हैं। सरकारी मदद के बगैर चर्च की सही प्रकार से मरम्मत किया जा पाना संभव नहीं है।

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