'मेरी अब मृत्यु हो चुकी है…', लोगों ने छोड़ा मोह माया का साथ, हजारों ने किया नागा साधु बनने के लिए आवेदन – Utkal Mail

महाकुम्भ नगर, अमृत विचार। सनातन धर्म की रक्षा के लिए हजारों लोगों ने नागा साधु के तौर पर दीक्षा लेने के लिए अखाड़ों में आवेदन किया है और तीन स्तरों पर इन आवेदनों की जांच कर दीक्षा देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। आपको बता दें कि महाकुंभ में 1500 लोगों ने जीवित ही किया अपना पिंडदान औक बने नागा सन्यासी। इसमें 19 महिलाएं भी आज महाकुंभ में नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ले रही है। सभी महिलाओं को गुरु परंपरा के अनुसार ही दीक्षा दी जा रही है। निरंजनी अखाड़ा के महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी में प्रथम चरण में 300-400 लोगों को नागा संन्यासी के तौर पर दीक्षा दी जा रही है। 13 अखाड़ों में सात शैव अखाड़े हैं, जिनमें से छह अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जाती है।
सभी ने पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़कर हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली। जूना अखाड़े के रमता पंच के महंत रामचंद्र गिरि, दूध पुरी, निरंजन भारती और मोहन गिरि की देखरेख में पहले सभी लोगों का मुंडन संस्कार किया गया। इसके बाद सभी ने 108 बार गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई। गंगा पूजन और पिंडदान किया। पिंडदान के बाद सभी ने एक स्वर में खुद को सांसारिक मोह माया से अलग करते हुए सांसारिक तौर पर खुद के मृत होने का ऐलान कर दिया।
महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि इनमें निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी, अटल, जूना और आह्वान अखाड़ों में नागा साधु बनाए जाते हैं जबकि अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी होते हैं, वहां नागा नहीं बनाए जाते हैं। शंकराचार्य ने नागा साधु बनाने की जो परंपरा डाली थी, वह संन्यासी अखाड़ों के लिए है। जूना अखाड़ा के महामंत्री हरि गिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़े में नागा साधुओं को दीक्षा के लिए जगह का अभाव है, इसलिए कई चरणों में इन्हें नागा साधु की दीक्षा दी जाएगी और हजारों की संख्या में नागा साधु के लिए आवेदन आए हैं।
महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुनापुरी महाराज ने बताया कि महानिर्वाणी में 300-350 लोगों को नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है जिसके लिए पहले से काफी लोगों के आवेदन आए थे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि विभिन्न अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने आवेदन कर रखा है जो सनातन धर्म के लिए अपना सब कुछ बलिदान करके नागा साधु बनना चाहते हैं।
एक आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर ने बताया कि पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और पर्चियां जारी की जा रही हैं, साथ ही गोपनीय ढंग से आवेदकों के साक्षात्कार लिए जा रहे हैं, सभी पात्रता पूरी करने वाले लोगों को ही नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के किनारे नागा साधुओं के संस्कार किए जा रहे हैं, इसमें मुंडन संस्कार और पिंडदान शामिल है, ये संन्यासी अपना स्वयं का पिंडदान कर यह घोषणा करते हैं कि उनका भौतिक दुनिया से अब कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि इन सभी अनुष्ठान के बाद मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के साथ नागा साधु बनने की प्रक्रिया पूरी होती है। महामंडलेश्वर ने बताया कि ये सभी लोग धर्म ध्वजा के नीचे नग्नावस्था में खड़े होंगे और आचार्य महामंडलेश्वर उन्हें नागा बनने की दीक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि सभापति उन्हें अखाड़े के नियम आदि बताएंगे और उन्हें नियमों का पालन करने की शपथ दिलाएंगे, यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद हर किसी को अमृत स्नान के लिए भेजा जाएगा। एक अन्य अखाड़े के महंत ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हर उम्मीदवार को नागा साधु बनाया जाएगा क्योंकि जांच के दौरान कई लोग अपात्र पाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि तीन चरणों में आवेदनों की जांच की गई और यह प्रक्रिया छह महीने पहले शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि अखाड़ा के थानापति ने उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और गतिविधियों की जांच की और इसकी रिपोर्ट आचार्य महामंडलेश्वर को दी गई और आचार्य महामंडलेश्वर ने अखाड़े के पंचों से पुनः इसकी जांच कराई जिसके बाद ही नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
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