भारत

Biography Of Pope Francis: ब्यूनस आयर्स के ईसाई धर्मगुरु बनने की कहानी, पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी घटनायें – Utkal Mail

अमृत विचार। जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो को दुनिया पोप फ्रांसिस नाम से जानती है जिन्होंने अपने विनम्र स्वभाव और गरीबों के प्रति चिंता से एक सहृदय पोप के रूप में विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। कैथोलिक समुदाय के पहले लैटिन अमेरिकी पादरी पोप फ्रांसिस ने 88 साल की उम्र में सोमवार को अंतिम श्वांस ली। 17 दिसंबर 1936 को जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो का जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। वह इटली के एक अकाउंटेंट मारियो जोस बर्गोग्लियो और इतालवी आप्रवासी की बेटी रेजिना मारिया सिवोरी की पांच संतानों में सबसे बड़े थे। साल 1969 में 13 दिसंबर को वह जेसुइट धार्मिक आदेश के तहत पादरी नियुक्त किये गये जिसका उन्होंने 1970 के दशक में अर्जेंटीना के प्रांतीय प्रमुख के तौर पर नेतृत्व किया। यह वह वक्त था जब देश में तानाशाही की शुरुआत हुई थी। 

20 मई, 1992 को जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो ब्यूनस आयर्स के सहायक बिशप नियुक्त किये गये तथा 1998 में अर्जेंटीना की राजधानी के आर्कबिशप के रूप में कार्डिनल एंटोनियो क्वारासिनो का स्थान लिया। 21 फरवरी, 2001 को सेंट जॉन पॉल द्वितीय द्वारा जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो कार्डिनल पद पर पदोन्नत किए गए। 13 मार्च, 2013 को जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो 266वें पोप चुने गए। वह अमेरिका से पहले पोप थे। इसके अलावा वह इस शीर्ष धार्मिक पद पर पहुंचने वाले पहले जेसुइट थे तथा सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के बाद फ्रांसिस नाम अपनाने वाले प्रथम व्यक्ति थे। 13 अप्रैल, 2013 को चर्च को संचालित करने और इसकी नौकरशाही को पुनर्गठित करने में सहायता के लिए फ्रांसिस ने विश्व भर के आठ कार्डिनल की अनौपचारिक सलाहकार टीम (किचन कैबिनेट) बनाई। 12 मई, 2013 को “ओट्रान्टो के शहीदों” को संत घोषित किया गया। 1480 में तुर्की के आक्रमणकारियों द्वारा इस्लाम धर्म अपनाने की मांग को ठुकराने के कारण 813 इतावली मारे गए थे।  आठ जुलाई, 2013 पोप फ्रांसिस रोम से बाहर पहली यात्रा पर सिसिली के द्वीप लैम्पेदुसा पहुंचे, जहां उन्होंने नए प्रवासियों से मुलाकात की और भावी शरणार्थियों के प्रति दुनिया भर में दिखाई जा रही उदासीनता की निंदा की। 25 मई, 2014 को फलस्तीनी मुद्दे के प्रति समर्थन प्रदर्शित करने के लिए, पोप फ्रांसिस पश्चिमी तट के बेतलहम शहर को इजराइल से अलग करने वाली दीवार पर प्रार्थना करने के लिए अचानक रुके। आठ जून, 2014 को वेटिकन गार्डन में शांति प्रार्थना के लिए पोप फ्रांसिस ने इजराइल और फलस्तीनी राष्ट्रपतियों की मेजबानी की। 10 जुलाई, 2015 को औपनिवेशिक युग के दौरान अमेरिका के मूल निवासियों के विरुद्ध कैथोलिक चर्च के पापों और अपराधों के लिए पोप फ्रांसिस ने बोलीविया में क्षमा मांगी। 

18 फरवरी, 2016 को अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर मृत प्रवासियों के लिए पोप फ्रांसिस ने प्रार्थना की। बाद में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के तत्कालीन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप सीमा पर दीवार बनाने की इच्छा रखने के कारण “ईसाई नहीं हैं।” एक दिसंबर, 2017 को म्यांमा के रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ बांग्लादेश में एक बैठक में पोप फ्रांसिस ने कहा, “आज ईश्वर की उपस्थिति को भी रोहिंग्या कहा जाता है।” 12 अप्रैल, 2018 को पोप फ्रांसिस ने चिली के यौन शोषण कांड में निर्णय में “गंभीर गलतियां” स्वीकार की। बाद में चिली के बिशपों को उनके इस्तीफे के लिए रोम बुलाया और पीड़ितों को माफी के लिए वेटिकन आमंत्रित किया। तीन अगस्त, 2018 को आधिकारिक चर्च शिक्षा में बदलाव करते हुए सभी परिस्थितियों में मृत्युदंड को “अस्वीकार्य” घोषित किया गया। 22 सितंबर, 2018 को वेटिकन और चीन ने बिशप नामांकन पर ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किये। चार फरवरी, 2019: मिस्र के अल अजहर विश्वविद्यालय के इमाम के साथ “मानव बंधुत्व” दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे कैथोलिक और मुसलमानों के बीच सहयोगात्मक संबंध स्थापित हुए। नौ मई, 2019 के दिन नया चर्च कानून जारी किया गया, जिसके तहत पादरी द्वारा यौन शोषण की रिपोर्ट आंतरिक तौर पर दर्ज करने को आवश्यक किया गया है। हालांकि यह रिपोर्ट पुलिस को नहीं दी जाएगी। आरोपी बिशपों, कार्डिनलों और धार्मिक व्यक्तियों की जांच के लिए प्रक्रियाएं स्थापित की गईं। 24 नवंबर, 2019 को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी की यात्रा के दौरान पोप फ्रांसिस ने परमाणु हथियारों का उपयोग करने और उन्हें रखने को “अनैतिक” घोषित किया। 17 दिसंबर, 2019 को पादरी यौन शोषण मामलों में “पोंटिफिकल गोपनीयता” के उपयोग को समाप्त कर दिया गया, जिससे बिशपों को उत्पीड़न करने वालों के बारे में आंतरिक दस्तावेज कानून प्रवर्तन के साथ साझा करने की अनुमति मिल गई।  पांच से आठ मार्च, 2021 को इराक का दौरा करने वाले पहले पोप बने, वहां के शीर्ष शिया मुस्लिम धर्मगुरु से मुलाकात की। चार जुलाई, 2021 को रोम के जेमेली अस्पताल में पोप फ्रांसिस की आंत की सर्जरी हुई, बड़ी आंत का 33 सेंटीमीटर (13 इंच) का हिस्सा निकाला गया। पांच जनवरी, 2023 को पोप बेनेडिक्ट 16वें की अंतिम संस्कार प्रार्थना की अध्यक्षता की।  24 जनवरी, 2023 को एसोसिएटेड प्रेस को दिए साक्षात्कार में पोप फ्रांसिस ने कहा कि “समलैंगिक होना कोई अपराध नहीं है।” सात जून, 2023 को उनकी आंत के घाव के ऊतकों को हटाने और हर्निया संबंधी सर्जरी हुई। 19 दिसंबर, 2023 को समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की मंजूरी दी गई, बशर्ते कि वे विवाह से मिलते-जुलते न हों । इसका अफ्रीका, एशिया और अन्य जगहों पर रूढ़िवादी बिशपों की ओर से कड़ा विरोध हुआ। 14 फरवरी, 2025 को ब्रोंकाइटिस की स्थिति बिगड़ने के बाद पोप फ्रांसिस को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जो बाद में फेफड़ों के जटिल संक्रमण और निमोनिया का कारण बना।  23 मार्च, 2025 को 38 दिनों के उपचार के बाद पोप फ्रांसिस को अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन वह कमज़ोर और दुर्बल दिख रहे थे।

ये भी पढ़े : नीला और पीला कुर्ता-पायजामा सेट : JD Vance के बच्चों ने जीता सबका दिल, सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा

 


Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button