राजधानी के इमामबाड़ा में हुई मजलिस : लोगों ने मनाया मातम, मौलाना बोले-महिला सम्मान के अहसास का नाम है कर्बला – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचार: मकबरा सआदत अली खां में मोहर्रम की 5वीं मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मुराद रजा ने कहा कि इंसानियत की बुनियादी जरूरत इंसानियत की हिफाजत की राह में अपना सब कुछ कुर्बान कर देना है। मौलाना ने महिला अधिकारों पर मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि कर्बला औरत को जिल्लत और रुसवाई से बाहर निकालने का बेहतरीन नमूना है। जिस पर हमेशा से जुल्म होता चला आया है।
मौलाना ने कहा कि आज के कथित आधुनिक युग में औरतों के अधिकारों को औरत-मर्द को बराबर बता कर कुचला जा रहा है। यह नारा ही औरतों पर सबसे बड़ा जुल्म है। औरतों से एहसास छीन लिया गया। जिससे वह यह महसूस ही नहीं कर पाती कि वह जुल्म की चक्की में पिस रही हैं। कर्बला इसी एहसास को जगाने का नाम है। औरतों को सम्मान और सुरक्षा देने वाली रसूले अकरम की बेटी जनाबे फातिमा जहरा के मिशन को उनकी बेटी जनाबे जैनब ने आगे बढ़ाया।
अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नत मआब सैयद तकी साहब में मजलिस को मौलाना सैफ अब्बास ने अहलेबैत नजात का रास्ता विषय पर खिताब किया। इमामबाड़ा गुफरानमआब में मौलाना कल्बे जवाद ने विलायते अली की अहमियत और फजीलत को कुरान और हदीसों की रौशनी में पेश किया। छोटे इमामबाड़े में में मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी ने मजलिस में कहा कि दीन का तहफ्फुज विलायत के बगैर मुमकिन नहीं है इमामबाड़ा आगा बाकर में मौलाना मीसम जैदी ने तकरीर की।
घरों में हुई नज्र, पहनाई गई मन्नत
हजरत इमाम हुसैन के बीमार बेटे और शियों के चौथे इमाम हजरत जैनुल आब्दीन की याद में 5 मोहर्रम को अजादारों ने मन्नत पहनी। इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके बीमार बेटे इमाम जैनुल आब्दीन को कैदी बनाकर कूफे और शाम के बाजारों में घुमाया गया था। इन्हीं की याद में अजादार मन्नत पहनते हैं।
औन व मोहम्मद के ताबूत व अली असगर के झूले की जियारत
हैदरगंज स्थित कर्बला मुंशी फजले हुसैन में अंजुमन एनुल अजा की ओर से हजरत इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब के बेटों हजरत औन व हजरत मोहम्मद के ताबूतों की जियारत करायी गयी। मौलाना मिर्जा अनवर ने यहां मजलिस को खिताब करते हुए दोनों भाईयों की दर्दनाक शहादतों को बयान किया। मजलिस के बाद ताबूत, अलम और जुलजनाह की जियारत कराई गई।
इमामबाड़ा शाहनजफ में आग पर मातम
इमामबाड़ा शाहनजफ हजरतगंज में अजादारों ने आग पर मातम किया। आग पर मातम से पहले मौलाना फरीदुल हसन ने मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद हुसैनी दस्ते हाथों में अलम लिए या हुसैन… या हुसैन… की सदाएं बुलंद करते दहकते अंगारों पर से गुजरने लगे। हजरत इमाम हुसैन की शहादत के बाद यजीदी फौज ने उनके खेमों में आग लगा दी थी। इसी की याद अंजुमन मासूमिया असगरिया ने आग पर मातम का आयोजन किया। कैम्पस मस्जिद आमली कश्मीरी मोहल्ला में भी आग पर मातम किया गया। यहां मजलिस को मौलाना अख्तर हुसैन नकवी ने खिताब किया।
इमामबाड़ा मलका जहां से आज निकलेगा झूले का जुलूस
इमामबाड़ा मलका जहां (जामा मस्जिद हुसैनाबाद) से बुधवार को मगरिब की नमाज के बाद हजरत अली असगर के झूले का जुलूस निकाला जाएगा। मातमी अंजुमनें नौहख्वानी व सीनाजनी करती हुई बुधिया वाली मस्जिद तक जाएंगी। रात को 8 बजे आसिफी इमामबाड़े में आग पर मातम होगा।
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