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निजीकरण का विरोध : देश भर में बिजली कर्मियों ने किया प्रदर्शन – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचार। ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में बुधवार को देशभर में बिजली कर्मियों ने प्रदर्शन किया। प्रदेश में राजधानी समेत जिला व परियोजना मुख्यालयों पर प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन में किसान संगठन और उपभोक्ता फोरम भी शामिल हुए। इस बीच, बिजली कर्मियों ने 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है।

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देश के सभी प्रांतों के अभियंता, अवर अभियंता व अन्य बिजली कर्मी प्रदर्शन में शामिल हुए। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि प्रदेश समेत हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, नागपुर, रायपुर, भोपाल, जबलपुर, वडोदरा, राजकोट, गुवाहाटी, शिलांग, कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना, रांची, श्रीनगर, जम्मू, शिमला, देहरादून, पटियाला, जयपुर, कोटा व हिसार में विरोध-प्रदर्शन किए गए। प्रदेश में और कई प्रांतों में बिजली कर्मचारियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों और कई उपभोक्ता संगठनों ने संयुक्त रूप से निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

प्रदेश में वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध-प्रदर्शन किया गया। राजधानी लखनऊ में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम व रेजीडेंसी खंड कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया गया। इस दौरान आयोजित सभा को इंटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक सिंह, सोनभद्र के मजदूर नेता दिवाकर कपूर, राष्ट्रीय कुली मजदूर संघ के राम सुरेश यादव, अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर आदि नेताओं ने संबोधित किया।

भ्रामक आंकड़े देकर किया जा रहा निजीकरण

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन उप्र. के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़े देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है। प्रदेश के बिजली कर्मी बीते 7 माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर राज्य सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की।

बिना बिजली खरीद के हो रहा निजी कंपनियों को भुगतान

संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि प्रदेश में गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विद्युत वितरण निगमों को निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को बिना एक भी यूनिट बिजली खरीदे 6761 करोड़ रुपये का सालाना भुगतान करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त निजी घरानों से बहुत महंगी दरों पर बिजली खरीदने के कारण लगभग 10 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त भार आ रहा है। उप्र. में सरकारी विभागों पर 14,400 करोड़ रुपये का बिजली राजस्व का बकाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उप्र. पावर कॉरपोरेशन व शासन के कुछ बड़े अधिकारियों की कुछ चुनिंदा निजी घरानों के साथ मिलीभगत है।

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