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सामान बांध लिया है, जल्द ही सरकारी आवास छोड़ दूंगा, बंगला खाली न करने की शिकायत पर बोले चंद्रचूड़ – Utkal Mail

नई दिल्ली। सरकारी आवास पर निर्धारित समय से अधिक वक्त तक रहने को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि सामान बांध लिया गया है और वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ जल्द ही किराये पर सरकारी आवास में चले जाएंगे।

चंद्रचूड़, उनकी पत्नी कल्पना और बेटियां प्रियंका व माही पांच कृष्ण मेनन मार्ग, नयी दिल्ली स्थित प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के आधिकारिक आवास में रह रहे हैं।प्रियंका और माही दोनों दिव्यांग हैं। चंद्रचूड़ ने बंगले में निर्धारित समय से अधिक वक्त तक रहने के कारणों को विस्तार से बताते हुए एक न्यूज एजेंसी से कहा, “हमने वास्तव में अपना सामान बांध लिया है। हमारा सामान पहले ही पूरी तरह बांधा जा चुका है। कुछ सामान पहले ही नए घर में भेज दिया गया है और कुछ यहां भंडार कक्ष में रखा हुआ है।” 

आठ नवंबर, 2024 को कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए 50वें प्रधान न्यायाधीश, कथित रूप से अधिक समय तक रहने के कारण आधिकारिक बंगला खाली करने के लिए उच्चतम न्यायालय प्रशासन द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र का जवाब दे रहे थे। पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने विवाद पर दुख जताया और अपनी बेटियों की चिकित्सा स्थिति का हवाला दिया, जिन्हें !‘व्हीलचेयर’ अनुकूल घर की आवश्यकता थी। 

उन्होंने कहा, “मैं आपको नहीं बताऊंगा कि मैं कैसा महसूस करता हूं, लेकिन आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं इसके बारे में कैसा महसूस करता हूं… एक बात जो मैं बताना चाहता हूं वह यह है कि हम दो बच्चों, प्रियंका और माही, के माता-पिता हैं। वे विशेष बच्चे हैं और उनकी विशेष ज़रूरतें हैं। उन्हें ‘नेमालाइन मायोपैथी’ नामक एक बीमारी है… और आप जानते हैं, यह एक बहुत ही दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों को प्रभावित करता है।” 

उन्होंने आगे कहा, “यहां तक ​​कि घर पर भी हम स्वच्छता और सफाई का उच्च स्तर बनाए रखते हैं और हमारे पास एक बहुत ही विशेषज्ञ नर्स है जो उनकी देखभाल करती है। तो अब यह शायद कुछ दिनों की बात है, या कुछ दिनों की नहीं, बल्कि शायद ज्यादा से ज्यादा कुछ हफ्तों की। जैसे ही वे मुझे बताएंगे कि घर रहने के लिए तैयार है, मैं वहां चला जाऊंगा।” 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याद किया कि उनकी बड़ी बेटी प्रियंका 2021 में और जनवरी 2022 में पीजीआई चंडीगढ़ में 44 दिनों तक गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रही थी। उन्होंने कहा, “और आप जानते हैं, जब हम शिमला में छुट्टियां मना रहे थे, तो उसे कुछ परेशानी हुई थी, और अब उसे ट्रैकियोस्टोमी ट्यूब (सांस लेने में मदद के लिये) लगायी गयी है…।” 

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि उनकी बेटी का दर्द और बोलने में सहायता संबंधी उपचार किया जा रहा है और इसके अलावा नियमित छाती, श्वसन और तंत्रिका संबंधी चिकित्सा उपचार के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि एक बच्ची को निगलने में कठिनाई होती थी, और बहु-विषयक दल दैनिक आधार पर उनके दोनों बच्चों की देखभाल करता है। 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एन.वी. रमण तथा शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें भी अपने आधिकारिक आवासों में रहने के लिए समय विस्तार दिया गया था। 

पूर्व प्रधान न्यायाधीश यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी बेटियां धूल, एलर्जी या किसी भी प्रकार के संक्रमण के संपर्क में न आएं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह ‘पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसे सरकार द्वारा आवास आवंटित किया गया’ है। उन्होंने दावा किया कि समय विस्तार भारत के प्रधान न्यायाधीश के विवेक पर निर्भर है। 

घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना से बात की थी, जो उनके उत्तराधिकारी बने थे, और उन्हें बताया था कि उन्हें 14, तुगलक रोड स्थित बंगले में लौटना है, जहां वह प्रधान न्यायाधीश बनने से पहले रहते थे। 

न्यायमूर्ति खन्ना ने हालांकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को प्रधान न्यायाधीश के बंगले में ही रहने को कहा, क्योंकि न्यायमूर्ति खन्ना आधिकारिक आवास में नहीं रहना चाहते थे। सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने एक जुलाई को केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सीजेआई बंगले में अनुमति प्राप्त अवधि से अधिक समय तक रहे हैं और उसने संपत्ति खाली कराने की मांग की थी। 

सूत्रों ने बताया कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को भेजे गए पत्र में सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन ने कहा है कि भारत के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश के लिए निर्धारित आवास को न्यायालय के ‘आवास पूल’ में वापस कर दिया जाना चाहिए। 

पत्र में मंत्रालय के सचिव से बिना किसी देरी के पूर्व प्रधान न्यायाधीश से बंगले का कब्जा लेने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि न केवल आवास को अपने पास रखने के लिए उन्हें दी गई अनुमति प्राप्त अवधि 31 मई को समाप्त हो गई, बल्कि 2022 के नियमों के तहत इससे आगे की अवधि तक रहने की निर्धारित छह महीने की समय सीमा मई में ही समाप्त हो गई। 

सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत, भारत के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए टाइप सात बंगला (5, कृष्ण मेनन मार्ग बंगले से एक स्तर नीचे का) अपने पास रख सकते हैं। 


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