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Thank you ISRO, इसरो प्रमुख को शुभांशु शुक्ला ने किया फोन, ISS तक सुरक्षित यात्रा के लिए कहा- शुक्रिया – Utkal Mail

बेंगलुरु। एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद भारतीय गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस तक उनकी सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के प्रयासों की सराहना की है। इसरो ने बताया कि शुक्ला ने छह जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष वी नारायणन को फोन किया था। उसने बताया कि फोन पर बातचीत के दौरान नारायणन ने शुक्ला का हालचाल पूछा और आईएसएस पर किए जा रहे विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों एवं गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। 

अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने शुक्ला के धरती पर लौटने के बाद सभी प्रयोगों और गतिविधियों का सावधानीपूर्वक दस्तावेजीकरण करने के महत्व पर बल दिया, क्योंकि इससे भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ के विकास के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि एवं जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी। इसरो के मुताबिक, ‘गगनयान’ अभियान का मकसद पृथ्वी की निचली कक्षा में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है और इस मिशन से प्राप्त अनुभव एवं ज्ञान इसकी (‘गगनयान’ अभियान की) सफलता के लिए महत्वपूर्ण होंगे। 

शुभांशु शुक्ला के आईएसएस मिशन को इसरो-एक्सिओम अंतरिक्ष उड़ान समझौते के तहत क्रियान्वित किया गया है। चर्चा में इसरो के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया, जिनमें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक और मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष डॉ. उन्नीकृष्णन नायर; द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के निदेशक एम मोहन; इसरो जड़त्वीय प्रणाली इकाई (आईआईएसयू) के निदेशक पद्मकुमार ई एस; इसरो के वैज्ञानिक सचिव एम गणेश पिल्लई और एलपीएससी के पूर्व निदेशक एन वेदाचलम शामिल थे। बातचीत में शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन पर किए जा रहे प्रयोगों और गतिविधियों की प्रगति पर जानकारी भी साझा की। उन्होंने वैज्ञानिक उद्देश्यों और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।

शुभांशु शुक्ला ने पूरा किया Tardigrades से जुड़े Microgravity प्रयोग 

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने ISS पर Tardigrades से जुड़े Microgravity प्रयोग को सफलता के साथ पूरा कर लिया है। अध्ययन में अंतरिक्ष में उनके अस्तित्व, पुनरुत्थान और प्रजनन व्यवहार पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसरो ने कहा है कि यह अध्ययन सूक्ष्म गुरूत्व वाले वातावरण में प्रतिकूल स्थितियों में पनपने वाले जीवों की सहनशीलता संबंधी जैविक प्रकियाओं के बारे में अहम जानकारी प्रदान करेगा। पृथ्वी पर विशेष रूप से चिकित्सा क्षेत्र में इसके संभावित अनुप्रयोग हो सकते हैं। इसरो का उद्देश्य अपनी आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से अंतरिक्ष के अनुभव को पृथ्वी के करीब लाकर छात्रों और जनता को प्रेरित करना भी है। 

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