लखनऊ का कोनेश्वर महादेव मंदिर : रामायण काल से जुड़ा है इतिहास, प्राचीन धर्मग्रंथों में मिलता जिसका उल्लेख – Utkal Mail

अमृत विचारः चौक के कोनेश्वर महादेव मंदिर रामायण काल से जुड़ा है। पुजारी पंडित दिवाकर पांडेय ने बताया कि कोनेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना आदि गंगा गोमती नदी के तट पर लक्ष्मण जी ने की थी। तट पर कौण्डिन्य ऋषि का आश्रम था, जिसका उल्लेख अनेक प्राचीन धर्मग्रंथों में मिलता है।
मां सीता को वन छोड़ने गए शोक संतृप्त लक्ष्मण जी गोमती तट पर स्थित इसी आश्रम में रुके थे। कौण्डिन्य ऋषि ने लक्ष्मण जी से आश्रम में स्थापित शिवलिंग का अभिषेक और पूजन करने के लिए कहा था। इस तथ्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी किया गया है। कौण्डिन्य ऋषि द्वारा आश्रम में स्थापित केंद्र शिवलिंग को पहले कौण्डिन्येश्वर महादेव के नाम से जाना जाता था।
शिवलिंग ने नहीं बदला अपना स्थान
पुजारी ने बताया कि किसी भी मंदिर में शिवलिंग बीच में होता है लेकिन यहां पर बाबा कोने में विराजमान हैं। कहा जाता है कि कई बार भक्तों और पुजारियों ने बीच में भगवान के शिवलिंग को स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन शिवलिंग अपना स्थान बदल कर पुराने स्थान पर आ जाता था।
कौण्डिन्य ऋषि द्वारा अपने आश्रम में स्थापित शिवलिंग को कौण्डिन्येश्वर महादेव के नाम से जाना गया, जो कालांतर में सरल भाषा में कोनेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
जल अर्पण करने से होता है भक्तों का कल्याण
प्रत्येक सोमवार को मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है जिसमें दूर-दराज से लोग शिवलिंग पर जल अर्पित करने आते हैं। लगातार जलाभिषेक से भक्तों का कल्याण होता है। भोलेनाथ का शाम को श्रृंगार किया जाता है। भोग अर्पण किया जाता है।
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