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वर्ष 2024 में फिल्म-संगीत और मनोरंजन जगत की इन अजीम शख्सियतों ने कहा अलविदा  – Utkal Mail

मुंबई। फिल्म, संगीत और मनोरंजन जगत के लिए वर्ष 2024 ऐसे तो कई मायनों में कई उपलब्धियों भरा वर्ष साबित हुआ, लेकिन श्याम बेनेगल, जाकिर हुसैन, प्रभा अत्रे, अमीन सयानी, पंकज उधास,शारदा सिन्हा, कुमार साहनी समेत कई अजीम शख्सियतों के चले जाने से एक ऐसा रिक्त स्थान हो गया जिसकी कमी शायद हीं कभी पूरी हो सके। भारतीय सिनेमा जगत के महान फिल्मकार दादा फाल्के से सम्मानित श्याम बेनेगल का 23 दिसंबर को निधन हो गया। उन्होंने न सिर्फ समानान्तर सिनेमा को पहचान दिलायी बल्कि स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और नसीरउद्दीन साह समेत कई सितारों को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया।

श्याम बेनेगल ने अपने करियर की शुरूआत बतौर कॉपीराइटर मुंबई की विज्ञापन एजेंसी से की। वर्ष 1962 में श्याम बेनेगल ने अपनी पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म गुजराती में बनायी। श्याम बेनेगल ने अपने सिने करियर की शुरूआत बतौर निर्देशक वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म ‘अंकुर’ से की। अपने शानदार करियर में श्याम बेनेगल ने ‘भारत एक खोज’ और -संविधान’ सहित विभिन्न मुद्दों, डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन धारावाहिकों पर फिल्में बनायीं।श्याम बेनेगल को कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 में उन्हें पद्मश्री और वर्ष 1991 में पद्म भूषण से सम्म्मानित किया गया।

 वर्ष 2005 में श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किये गये। विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 15 दिसंबर को निधन हो गया।उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।वर्ष 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ‘ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट’ में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। 

जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इन्विटेशन मिला था। किराना घराने की प्रमुख गायिका और पद्म विभूषण से सम्मानित प्रभा अत्रे का 13 जनवरी को निधन हो गया।दुनिया भर में शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रभा अत्रे को सात दशक के समृद्ध करियर के दौरान 1990 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2022 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।अपने करियर के आरंभ में उन्होंने कुछ समय के लिए गायन मंच अभिनेत्री के रूप में काम किया, तथा कथक में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए मराठी रंगमंच के क्लासिक नाटकों में भूमिकाएं निभाईं। 

अपनी जादुई आवाज और मस्त अंदाज से बरसों दुनिया के कई देशों के श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले अमीन सयानी का 20 फरवरी को निधन हो गया है। रेडियो की दुनिया में आवाज के जादूगर कहे जाने वाले अमीन सयानी देश के ऐसे पहले रेडियो स्टार रहे हैं, जिनका बड़े-बड़े फिल्म स्टार भी सम्मान करते थे। एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम के माध्यम से आवाज के इस शहंशाह ने अपने नाम और काम की धूम मचा दी थी।रेडियो सुनने का शौक रखने वालों के कानों में आज भी सयानी की आवाज में ‘नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’ गूंजता है।

अमीन सयानी को 1952 में रेडियो सीलोन पर ‘बिनाका गीतमाला’ पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह शो 1952 से 1994 तक 42 वर्षों तक भारी लोकप्रियता हासिल करता रहा। गजल की दुनिया के बेताज बादशाह पंकज उधास का 26 फरवरी को निधन हो गया।पंकज उधास के सिने कैरियर की शुरूआत 1972 में प्रदर्शित फिल्म ..कामना ..से हुयी।उनके मशहूर गानों की लिस्ट में ‘जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके…’, ‘चिट्ठी आई है…’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल…’, ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार’ जैसे गाने शामिल हैं।पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पंकज के म्यूजिकल करियर की शुरुआत 6 साल की उम्र से हो गई थी। उनके मशहूर गानों की लिस्ट में ‘जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके…’, ‘चिट्ठी आई है…’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल…’, ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार’ जैसे गाने शामिल हैं।

गायकी के क्षेत्र में उनकेउल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें 2006 में पदमश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया । बिहार की स्वर कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा का 05 नवंबर को निधन हो गया।वर्ष 1978 में उन्होंने पहली बार ‘उग हो सूरज देव’ गाना रिकॉर्ड किया। उन्होंने बॉलीवुड में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। वर्ष 1989 में प्रदर्शित फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ का गाना ‘कहे तो से सजना’ उनकी आवाज में बेहद लोकप्रिय हुआ।

इसके अलावा, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2’ और ‘चारफुटिया छोकरे’ जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज दी। शारदा सिन्हा को संगीत में उनके योगदान के लिए वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’ और वर्ष 2018 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।उन्होंने ‘केलवा के पात पर उगलन सूरुजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं। उनके गीतों ने इस त्योहार को और भी खास बना दिया। 

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