Ghibli Trend Exposed:डार्कवेब और डीपफेक पर बिक रही आपकी गोपनीयता, अगर आपने भी किया इस्तेमाल तो हो जाये सावधान! – Utkal Mail

अमृत विचार। इन दिनों हर कोई अपनी तस्वींर को जापानी एनीमेशन स्टाइल घिबली में बदल रहा है। और सोशल मीडिया पर AI की मदद से लोग इसे खूब तेजी से शेयर भी कर रहे है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके चलते आपके डाटा और प्राइवेसी का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है।
साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट ने बताया कि भले ही इस AI टूल का लोग इस्तेमाल कर रहे है लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल है ? बता दे इसके इस्तेमाल में भी नियम शर्ते अक्सर अस्पष्ट रहती हैं। अगर आप अपनी तस्वीरें पोस्ट करते है तो इसके चोरी होने का खतरा होता है वही इसका इस्तेमाल डीपफेक बनाने के लिए हो सकता है। डार्क वेब पर भी इसको बेचा जा सकता है। इसकी शर्तो में आपकी फोटो का क्या होता है यह जानकारी भी ठीक से उपलब्ध नहीं होती है।
विशेषज्ञ मानते हैं की इसकी तस्वीरो में आपका चेहरा ही नहीं बल्कि आपकी लोकेशन समय और डिवाइस की जानकारी जैसा मेटा डाटा छुपा रहता है और ये आपकी निजी जानकारी आसानी से कहि भी दे सकते हैं। इस जापानी एनीमेशन की कला स्टूडियो घिबली ओपन AIके गप्त 40 मॉडल को लांच करने के बाद शुरू की गई। वहीं साइबर सुरक्षा फर्म प्रौद्योगिकी अनुसंधान के व्लादिस्लाव तुश्कानोव का कहना है कि कुछ कंपनिया डाटा की सुरक्षा का ध्यान रखती है लेकिन पूरी तरह सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता है।
तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले ये जान ले कि आपकी लापरवाही के चलते हैकिंग से डाटा लीक या फिर पब्लिक डोमेन में आ सकती है। और डार्क वेब पर बिकता है बता दे डार्क वेब पर कई फोरम हैं, जहां यूजर्स के अकाउंट फोटो और दूसरी जरुरी जानकरी बेचीं जाती है। इसीलिए तस्वीरें डालने से पहले सावधानी रखे।
हम अपना डाटा आसानी से इस तरह के प्लेटफार्म पर अपना शेयर करते समय एक बार भी नहीं सोचते है। एंटीवायरस कंपनी मैक एफी के डायरेक्टर ऑफ़ इंजीनियर प्रतिम मुखर्जी का कहना है कि पर्सनल डाटा शेयर करने और इसी डाटा से पैसे कमाने के लिए क्रिएटिविटी का इस्तेमाल किया जाता है। तो शोषण और आंनद में अंतर खत्म हो जाता है।
लेकिन बड़ी परेशानी ये है कि डाटा का इस्तेमाल के नियम लंबे और मुश्किल शब्दों में होते है। जिसे ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पाते हैं और उसपर क्लिक कर देते हैं। सिर्फ कुछ देर के आंनद के लिए ऐसा करना किसी खतरे को बुलावा देना होता है और कंपनियों को ये साफ़ तौर पर बता देना चाहिए कि यूजर डाटा का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।
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