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मिशन चंद्रयान-3 में ‘खौफ के वो आखिरी 17 मिनट्स’, जब वैज्ञानिक भी थाम लेंगे दिल – Utkal Mail


चंद्रयान-3 को लेकर बड़ा अपडेट है. वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम को सभी कमांड दे दिए हैं. यानी कि लैंडर में कमांड अपलोड कर दिए गए हैं. आज दोपहर में वो कमांड लॉक भी कर दिए जाएंगे.  खबर मिल रही है कि वैज्ञानिक साढ़े 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद की सतह पर लैंडर को उतारने की कोशिश करेंगे. शाम 5.45 बजे से ही लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. आपको बता दें कि शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर टचडाउन का वक्त तय है.

पूरा हिदुस्तान उस पल को देखना चाहता है जब चंद्रयान 3 चांद पर उतरेगा और तिरंगा फहराएगा.  शाम 6 बजकर 4 मिनट यानी वो लम्हा जब पूरी दुनिया भारतीय वैज्ञानिकों की ओर देख रही होगी. हिन्दुस्तान का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा. चंद्रयान 3 चांद के बेहद करीब है. जहां वो सही सलामत काम कर रहा है. लगातार तस्वीरें भेज रहा है. 20 अगस्त को ही लैंडर विक्रम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को एक वीडियो भेजा |

उससे एक दिन पहले ही कैमरे में चांद की कुछ दिलचस्प तस्वीरें कैद हुईं. ये तस्वीरें देश और दुनिया की उम्मीद जगा रही हैं. वैज्ञानिकों में उत्साह है. कि चंद्रयान 3 अपने मिशन पर सफल होगा. 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रयान-3 का लैंडर चांद पर उतरेगा. चांद की सतह तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया में 17 मिनट 21 सेकेंड का वक्त लगेगा. ये वो वक्त है जो सबसे अहम है. वैज्ञानिक इसे 17 मिनिट्सऑफ टेरर (खौफ के 17 मिनट) कह रहे हैं. ISRO सेंटर में वैज्ञानिक मिनट्स ऑफ टेरर के सेकेंड दर सेकेंड को बारीकी से मॉनिटर कर रहे होंगे. देश उन वैज्ञानिकों की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है.

ISRO स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई के मुताबिक, 17 मिनिट्स को काफी भयावह कहा जा सकता है

दरसअल, आखिरी 17 मिनिट्स को लेकर खौफ इसलिए बना हुआ है क्योंकि चंद्रयान-3 का लैंडर इस अवधि में खुद से ही काम करेगा. इस दौरान ISRO के वैज्ञानिक कोई कमांड नहीं दे पाएंगे. साथ ही लैंडर को सही समय, सही ऊंचाई और सही मात्रा में ईधन का इस्तेमाल करते हुए लैंडिंग करनी होगी. आखिरी पलों में लैंडर के लिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं होगी.

2019 में चंद्रयान-2 को इन्हीं नाजुक पलों में नाकामयाबी मिली थी. तब लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया था, लेकिन छोटी सी तकनिकी गड़बड़ी के कारण क्रैश हो गया था. इस बार ऐसा न हो, इसके पुख्ता इंतजाम किए गए हैं

बीते चार साल में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश रूस, चीन, जापान और इजराइल भी कर चुका है

बीते चार साल में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश रूस, चीन, जापान और इजराइल भी कर चुका है. इन सभी देशों को आखिरी पलों में नाकामयाबी मिली. लेकिन भारत के वैज्ञानिकों का चट्टानी इरादा देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को शुभ संकेत दे रहा है.

बता दें कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए वैज्ञानिकों ने रत्तीभर गलती की गुंज़ाइश नहीं छोड़ी है और तैयारियां इसलिए भी तगड़ी की गई हैं, क्योंकि पहले चंद्रयान-2 विफल हो चुका है. ISRO के वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि चंद्रयान-3 में बदलावों के बाद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का सपना साकार होगा

चंद्रयान-3 की खूबियां:-

– अधिक रफ्तार से लैंडिंग
– पहले से ज्यादा ईंधन
– डिजाइन में बदलाव
– चारों ओर सोलर पैनल
– पहले से ज्यादा लेजर कैमरे

सबकुछ प्लान के मुताबिक चलते हुए, चंद्रयान 3 लैंडिंग पेज तक पहुंच चुका है. लैंडर विक्रम को चांद पर उतरने का काउंटडाउन भी शुरू हो चुका है. 23 अगस्त की तारीख भी लैंडिंग के लिए बहुत ही सोच समझकर तय की गई है

अब उसकी वजह जान लीजिए..

– चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपने मिशन का अंजाम देने के लिए सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा.
– चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है, अगर चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा जब वहां रात हो तो वह काम नहीं कर पाएगा.
– इसरो सभी चीजों की गणना करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है कि 23 अगस्त से चांद के दक्षिणी ध्रुव सूरज की रोशनी उपलब्ध रहेगी.
– चंद्रमा पर रात्रि के 14 दिन की अवधि 22 अगस्त को समाप्त हो रही है.
– 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकलेगी, जिसकी मदद से चंद्रयान का रोवर चार्ज हो सकेगा और अपने मिशन को अंजाम देगा.

इनका कहना है

ISRO के पूर्व डायरेक्टर प्रमोद काले के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है, इतनी कड़ाके की सर्दी में दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान का काम कर पाना संभव नहीं है. यही वजह है कि 14 दिन तक जब दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी रहेगी, तभी तक इस मिशन को अंजाम दिया जाएगा.

चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो रोवर प्रज्ञान उससे बाहर आएगा, और वहां चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में जानकारी देगा. वहां पानी या बर्फ के अलावा .कई दूसरे प्राकृतिक संसाधन भी मिल सकते हैं.




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