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नीट-यूजी 2024 के डेटा विश्लेषण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का संकेत नहीं, केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में जवाब – Utkal Mail

नई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी 2024’ में न तो इस बात के संकेत मिले हैं कि ‘‘बड़े पैमाने पर कदाचार’’ हुआ और न ही ऐसे संकेत हैं कि स्थानीय उम्मीदवारों के किसी समूह को लाभ पहुंचा हो। नीट-यूजी 2024 में कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के इतिहास में अभूतपूर्व है।

इस सूची में हरियाणा के एक केंद्र के छह छात्र शामिल हैं, जहां परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह आरोप लगाया गया है कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक प्राप्त करने में मदद मिली। केंद्र ने कहा कि नीट-यूजी 2024 के नतीजों का डेटा विश्लेषण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने किया और विशेषज्ञों के निष्कर्षों के अनुसार अंक वितरण में घंटी के आकार के वक्र का अनुसरण किया गया जो बड़े पैमाने पर कराई जाने वाली किसी भी परीक्षा में दिखता है जिससे किसी अनियमितता का संकेत नहीं मिलता। 

उच्चतम न्यायालय में दाखिल अतिरिक्त हलफनामे में केंद्र ने कहा कि 2024-25 के लिए स्नातक सीटों के वास्ते काउंसिलिंग की प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू हो रहे चार चरणों में की जाएगी। इस बीच, प्रतिष्ठित परीक्षा आयोजित कराने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने शीर्ष न्यायालय में अलग से एक अतिरिक्त हलफनामा भी दायर किया और कहा कि उसने राष्ट्रीय, राज्य, शहर और केंद्र स्तर पर नीट-यूजी 2024 में अंकों के वितरण का एक विश्लेषण किया है।

 एनटीए ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘यह विश्लेषण दिखाता है कि अंकों का वितरण बिल्कुल सामान्य है और ऐसा कोई बाहरी कारक प्रतीत नहीं होता जो अंकों के वितरण को प्रभावित करेगा।’’ उसने हलफनामे में प्रश्न पत्रों की गोपनीय छपाई, उसे लाने-ले जाने और वितरण के लिए स्थापित व्यवस्था की भी जानकारियां दी।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ विवादों में घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा से जुड़ी कई याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) की पांच मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी और कदाचार का आरोप लगाने वाली और इसे फिर से आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने आठ जुलाई को इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘‘भंग’’ हुई है। 

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