विदेश

बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा? सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर चलाईं गोलियां…आंसू गैस के गोले भी दागे  – Utkal Mail

ढाका।  बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर जारी प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे, साथ ही राजधानी ढाका में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया। हिंसक प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

राजधानी ढाका और कुछ स्थानों पर प्रदर्शन कुछ सप्ताह पहले शुरू हुए थे लेकिन सोमवार से इनमें तेजी आ गई। ये विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए अहम चुनौती हैं। उन्होंने जनवरी में हुए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी। प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की आज की घटना के एक दिन पहले भी काफी हिंसा हुई थी जिसमें स्थानीय मीडिया के अनुसार 22 लोगों की मौत हो गई थी। ‘समय टीवी’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि शुक्रवार को चार और लोग मारे गए। इन आंकड़ों की तुरंत पुष्टि करने के लिए अधिकारियों से संपर्क नहीं किया जा सका।

‘एसोसिएटेड प्रेस’ के एक रिपोर्टर ने देखा कि सीमा रक्षक अधिकारियों ने 1000 से अधिक प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलियां चलाईं। ये प्रदर्शनकारी सरकारी ‘बांग्लादेश टेलीविजन’ के मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए थे। इस मुख्यालय पर एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था और आग लगा दी थी। सीमा रक्षकों ने भीड़ पर गोलियां चलाईं, जबकि पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। गोलियां सड़कों पर बिखरी हुई थीं जहां खून के धब्बे भी थे। 

‘बांग्लादेश टेलीविजन’ के एक पत्रकार ने बृहस्पतिवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्य द्वार तोड़ दिया और वाहनों और स्वागत कक्ष क्षेत्र में आग लगा दी। उन्होंने फोन पर कहा, ‘‘ मैं दीवार फांदकर भाग गया लेकिन मेरे कुछ साथी अंदर फंस गए। हमलावर इमारत में घुसे और उन्होंने फर्नीचर में आग लगा दी।’’ स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बृहस्पतिवार को कम से कम 22 लोग मारे गए जबकि इस सप्ताह की शुरुआत में छह लोगों की मौत हो गई थी।

शुक्रवार सुबह राजधानी ढाका में इंटरनेट सेवाओं के साथ ही मोबाइल डेटा को बंद कर दिया गया तथा फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंच काम नहीं कर रहे थे। देश के दूरसंचार नियामक आयोग के एक बयान में कहा गया है कि अपने डेटा सेंटर पर बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किए जाने के बाद से वे सेवाएं देने में असमर्थ हैं। प्रदर्शनकारियों ने उपकरणों को आग लगा दी थी।

 ‘एसोसिएटेड प्रेस’ स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर पाया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि वे शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रखेंगे तथा उन्होंने देश भर की मस्जिदों से आग्रह किया कि मारे गए लोगों के लिए वहां जनाजे की नमाज अदा की जाए। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। 

वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में योगदान देने वालों को सम्मान मिलना चाहिए चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो। मुख्य विपक्षी दल ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ (बीएनपी) ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है और उसके कई समर्थक छात्रों के प्रदर्शनों में शामिल भी हुए हैं। शुक्रवार को पुलिस ने बीएनपी समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे और वरिष्ठ बीएनपी नेता रूहुल कबीर रिजवी को गिरफ्तार कर लिया। हसीना सरकार ने बीएनपी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। अधिकारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में विपक्षी पार्टी के मुख्यालय पर छापा मारा था और पार्टी की छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। 

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 38 लाख, देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह 


Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button