विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद महासागर क्षेत्र के विकास के लिए समन्वित प्रयासों का किया आह्वान – Utkal Mail

मस्कट। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि हिंद महासागर असल में वैश्विक जीवन रेखा है और क्षेत्र के विकास एवं सुरक्षा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने समन्वित प्रयास करने की अपील की। जयशंकर ने मस्कट में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया, जिसका विषय था ‘समुद्री साझेदारी के नये क्षितिज की यात्रा।’ उन्होंने कहा, ‘‘हिंद महासागर वास्तव में वैश्विक जीवन रेखा है। इसका उत्पादन, उपभोग, योगदान और कनेक्टिविटी वर्तमान विश्व के संचालन के तरीके के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।’’
Pleased to address the inaugural session of 08th Indian Ocean Conference, on our voyage to new horizons of maritime partnership.
A global lifeline, the Indian Ocean region comes together to meet its development, connectivity, maritime and security aspirations.
Highlighted how… pic.twitter.com/sVMBuFKtFG
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 16, 2025
उन्होंने कहा, ‘‘हम इतिहास, भूगोल, विकास, राजनीति या संस्कृति के संदर्भ में एक विविध समूह हैं। लेकिन जो चीज हमें एकजुट करती है, वह है हिंद महासागर क्षेत्र के कल्याण के लिए एक समान प्रतिबद्धता।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘अस्थिर और अनिश्चित युग में, हम स्थिरता और सुरक्षा को आधार मानते हैं। लेकिन इसके अलावा, महत्वाकांक्षाएं और आकांक्षाएं हैं जिन्हें हम प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। जब हम एक-दूसरे का ध्यान रखेंगे, अपनी ताकतों को बढ़ाएंगे और अपनी नीतियों में समन्वय करेंगे, तो उन्हें प्राप्त करना आसान हो जाएगा।’’
जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक मामलों में काफी उथल-पुथल हो रही है। जयशंकर ने कहा, ‘‘महासागर के दोनों छोर पर यह उथल-पुथल आज अपने चरम पर है। पश्चिम एशिया में एक गंभीर संघर्ष चल रहा है, जिसके और अधिक बढ़ने और जटिल होने की संभावना है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरी ओर, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अत्यधिक तनाव और जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता देखी जा रही है। जयशंकर ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के अन्य हिस्सों की तरह, हिंद महासागर के देशों को भी संसाधनों की कमी और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक अन्य साझा मुद्दा औपनिवेशिक युग के दशकों के व्यवधान के बाद क्षेत्र में कनेक्टिविटी का पुनर्निर्माण करना है।
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