धर्म

हल्द्वानी: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने आज रखा है वट सावित्री का उपवास – Utkal Mail

हल्द्वानी, अमृत विचार। वट सावित्री के पर्व पर शनि जयंती होने से इस पर्व का महत्व बढ़ गया है। ज्योतिषाचार्या डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व पर विवाहित स्रियां वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार वटवृक्ष की छांव में देवी सावित्री ने अपने पति को दोबारा जीवित किया था, तब से वट वृक्ष की पूजा का विधान है। वट वृक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। बरगद के वृक्ष के तने में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास है।

इस वृक्ष में कई सारी शाखाएं नीचे की ओर रहती हैं, इन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है। इसलिए धार्मिक मान्यतानुसार इस वृक्ष की पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। संतान प्राप्ति के लिए वट वृक्ष की पूजा करना लाभकारी माना गया है।

इस दिन विवाहिताएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए उपवास रखती हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष वट सावित्री पर्व पर विशेष योग बनने जा रहे हैं। इस बार गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, महालक्ष्मी योग, धृति योग, चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र अपनी उच्च राशि में बैठकर शुभ फल प्रदान करेंगे तथा शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर सभी पर कृपा बरसाएंगे।

पूजा मुहूर्त 
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 7:07 से शुरू होकर 6 जून की शाम 6:09 बजे तक रहेगी । पूजा का शुभ समय गुरुवार ब्रह्म मुहूर्त के साथ ही शुरू होगा। वहीं,  अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:52 से दोपहर 12:47 तक रहेगा।

शनि जयंती होने पर करें ये विशेष उपाय 
जिन जातकों की कुंडली में शनि की महादशा, साढ़े साती एवं ढैया का प्रभाव है उन सभी को शनि जयंती पर विशेष उपाय करने चाहिए। शनि मंदिर में लोहे का चारमुखी दीप प्रज्ज्वलित करें। काली वस्तुओं का दान करें। हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें। काले कुत्ते को उड़द की दाल से बना हुआ भोजन खिलाएं। पितरों के निमित्त ब्राह्मण को अन्न वस्र का दान करें।


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