धीरेंद्र शास्त्री 'महिला तस्कर' है… लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर दर्ज FIR, बागेश्वर बाबा ने जानें क्या दिया जवाब – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचारः उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ छतरपुर के बमीठा थाने में केस दर्ज हुआ है। यह शिकायत बागेश्वर धाम समिति के सदस्य धीरेंद्र कुमार गौर ने दर्ज कराई है। आरोप है कि प्रोफेसर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को ‘महिला तस्कर’ कहकर उनकी छवि खराब की और हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया।
विवाद की शुरुआत तब हुई, जब छतरपुर पुलिस ने एक एम्बुलेंस की जांच की, जिसमें कुछ महिलाएं थीं। जांच में पता चला कि ये महिलाएं बागेश्वर धाम में छिपकर रह रही थीं और कथित तौर पर अनुचित गतिविधियों में लिप्त थीं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रोफेसर रविकांत ने इसी वीडियो को साझा करते हुए पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित छोटे भाई धीरेंद्र शास्त्री धर्म के नाम पर महिला तस्करी में शामिल हैं।”
https://twitter.com/Profravikant79/status/1950842272880476447
धार्मिक भावनाएं आहत करने का इल्जाम
प्रोफेसर की इस टिप्पणी से विवाद भड़क गया। धीरेंद्र कुमार गौर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि इस पोस्ट ने न केवल धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, बल्कि हिंदू धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत प्रोफेसर के खिलाफ मामला दर्ज किया।
धीरेंद्र शास्त्री ने खारिज किए आरोप
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए ‘X’ पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग साजिश रच रहे हैं और लगातार उपद्रव मचाने की कोशिश कर रहे हैं। हमने देश में जात-पात की समस्या के खिलाफ और सनातनियों को एकजुट करने का अभियान शुरू किया है। इस वजह से कुछ लोग परेशान हैं, लेकिन हम रुकने वाले नहीं हैं।”
https://twitter.com/bageshwardham/status/1952246933474443434
उन्होंने आगे कहा, “जब तक हम जीवित हैं, चाहे कितने भी आरोप लगें, हम हिंदू धर्म, हिंदुत्व और हिंदुस्तान की सेवा करते रहेंगे। हमारा जन्म सनातन धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। हम सनातन परंपरा के लिए जिएंगे और उसी के लिए मरेंगे। यह तो बस शुरुआत है, आगे लोग और भी न जाने क्या-क्या कहेंगे। 7 से 16 नवंबर तक होने वाली पदयात्रा की घोषणा से ही कुछ लोग बेचैन हो उठे हैं।”
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