बरेली : 100 सालों से ज्यादा पुरानी है दुर्गाबाड़ी की यह पूजा, महिषासुर मर्दिनी की होती है स्थापना – Utkal Mail
बरेली, अमृत विचार। शहर में अन्य त्योहारों की भांति दुर्गा पूजा का उत्सव भी हर साल तमाम स्थानों पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस क्रम में रामपुर गार्डन स्थित दुर्गाबाड़ी में 100 सालों से ज्यादा वक्त से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। जहां बंगाली समाज के लोग दुर्गा पूजा के उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
यह कार्यक्रम नवरात्रों में चार दिनों तक चलता है, जिसके लिए बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं, जिसमें माता दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित पर उनकी अराधना की जाती है। इस दौरान माता रानी के सजाए गए दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है। आपको बता दें कि इस बार 20 अक्टूबर से दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू हुआ था, जो आज माता रानी की प्रतिमा विसर्जन के साथ समापन हो जाएगा।
षष्ठी से प्रारंभ होती हैं बंगाली समाज की दुर्गा पूजा
भले ही नवरात्र के पहले दिन से घरों और मंदिरों में दुर्गा पूजा का उत्सव शुरू हो जाता है। लेकिन सार्वजनिक रूप से बंगाली समाज की दुर्गा पूजा शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि से शुरू होती है। वहीं नवमी तिथि तक हर दिन आनंदा मेला, सप्तमी पूजा, संधी पूजा, पुष्पांजलि समेत तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है।
वहीं दशमी तिथि को भक्तगण विधि-विधान से माता रानी की प्रतिमा को नम आंखों से अगले साल फिर जल्दी आने की कामना के साथ विसर्जित करते हैं। आपको बता दें कि मूर्ति विसर्जन के दौरान गुलाल खेलने की भी परंपरा है।
दुर्गा पूजा के पंडाल में कराया जाता है भोज
बंगाली समाज के लोग दुर्गा पूजा के दौरान पुण्य कमाने के लिए दान करते हैं, वहीं पंडालों में पहुंचने वाले माता के भक्तों को खिचड़ी और रसगुल्ला आदि का भोज कराया जाता है।
4 दिनों के लिए मायके आती हैं महिषासुर मर्दिनी बंगाली समाज की मान्यता है कि षष्ठी तिथि को मां महिषासुर मर्दिनी चार दिनों के लिए अपने मायके आती हैं। उनकी संतान लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय भी आते हैं। इसलिए दुर्गा पूजा के पंडाल में इन चारों देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। महिषासुर मर्दिनि के आगमन की खुशी को बंगाली समाज उत्सव के रूप में मनाता है।
100 सालों से ज्यादा समय से शहर में मनाई जाती है दुर्गा पूजा दुर्गा पूजा को लेकर सेमी भट्टाचार्य बताते हैं कि सौ सालों से ज्यादा समय से बरेली में सार्वजनिक दुर्गा पूजा की परंपरा स्वर्गीय प्रतुल चंद्र गांगुली और उस समय के अन्य प्रतिष्ठित प्रवासी बंगाली समाज के लोगों ने की थी। जिसे आज तक बड़े ही उत्साह के साथ शहर में मानया जाता है।