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इजराइली हमले में गाजा के खान यूनिस में 36 लोगों की मौत, दक्षिणी लेबनान में तीन पत्रकार मारे गए  – Utkal Mail

बेरूत। इजराइली हमलों में गाजा में 36 लोग और लेबनान में शुक्रवार को तीन पत्रकार मारे गए। गाजा में मारे गए व्यक्तियों में कई बच्चे शामिल हैं। यह हमला गाजा में जरूरी सामान की आपूर्ति की कमी को लेकर बढ़ती चिंता और संघर्षविराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच हुआ है। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन लोगों के मारे जाने की सूचना दी और ये दक्षिणी गाजा शहर खान यूनिस में नवीनतम हैं। खान यूनिस में ही हाल के दिनों में लोग शहर की एकमात्र बेकरी के बाहर ब्रेड के लिए पंक्ति में खड़े थे।

ये मौतें अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद हुई हैं कि इजराइल ने हमास को ‘प्रभावी तरीके से तहस-नहस’ करने के अपने मकसद को हासिल कर लिया है। साथ ही उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था। वहीं दक्षिण-पूर्वी लेबनान में पत्रकारों के एक आवासीय परिसर पर हुए इजराइली हवाई हमले में तीन मीडिया कर्मियों की मौत हो गई।

‘एसोसिएटेड प्रेस’ की तस्वीरों में अब ध्वस्त इमारतें दिखीं जिन्हें मीडिया इकाइयों ने किराये पर लिया था। इन तस्वीरों में ढही हुई इमारतें और वे कारें धूल और मलबे से ढकी हुई दिखाई दीं जिन पर ‘प्रेस’ लिखा हुआ था। इजराइली सेना ने हमले से पहले कोई चेतावनी जारी नहीं की थी। समाचार नेटवर्क के प्रतिनिधियों और लेबनानी नेताओं ने इजराइल पर युद्ध अपराध और जानबूझकर पत्रकारों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। अल जजीरा अंग्रेजी के वरिष्ठ संवाददाता इमरान खान परिसर में मौजूद पत्रकारों में से एक थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ये केवल पत्रकार थे जो संघर्ष को काफी लंबे समय तक कवर करने के बाद बिस्तर पर सो रहे थे।’’ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके दल को कोई चोट नहीं आयी है। बेरूत के ‘अल-मायादीन टीवी’ ने बताया कि शुक्रवार की सुबह हमले में मारे गए पत्रकारों में उसके दो कर्मी कैमरा ऑपरेटर गस्सान नजर और प्रसारण तकनीशियन मोहम्मद रिदा भी शामिल हैं।

लेबनान के हिजबुल्ला समूह के ‘अल-मनार टीवी’ ने बताया कि हसबाया क्षेत्र में हुए हवाई हमले में उसके कैमरा ऑपरेटर विसम कासिम मारे गए। अल-मायादीन के निदेशक जी. बिन जिद्दो ने आरोप लगाया कि पत्रकारों के आवास वाले परिसर पर इजराइली हमला जानबूझकर किया गया और यह उन लोगों पर लक्षित था जो उसके सैन्य हमले को कवर कर रहे थे। उन्होंने बेरूत स्थित स्टेशन द्वारा अपना काम जारी रखने का संकल्प जताया।

लेबनान के सूचना मंत्री जियाद मकरी ने कहा कि पत्रकारों को उस समय मारा गया जब वे इजराइल के ‘‘अपराधों’’ का प्रसारण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे मीडिया के सदस्यों के एक बड़े समूह में शामिल थे। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘यह निगरानी और पता लगाये जाने के बाद, पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से एक हत्या है, क्योंकि उस स्थान पर सात मीडिया संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 18 पत्रकार मौजूद थे।’’

इजराइली सेना ने हमले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की। दक्षिण लेबनान में ‘अल-मनार’ के जाने माने पत्रकार अली शोएब ने एक मोबाइल फोन से खुद की एक वीडियो बनायी जिसमें वह यह कहते नजर आ रहे हैं कि उनके साथ महीनों से काम कर रहे कैमरा ऑपरेटर की मौत हो गई। शोएब ने कहा कि इजराइली सेना जानती थी कि जिस क्षेत्र पर हमला किया गया है वह आवासीय परिसर है और उसमें विभिन्न मीडिया संगठनों के पत्रकार रह रहे हैं।

शोएब ने ‘अल-मनार’ टीवी पर प्रसारित वीडियो में कहा, ‘‘हम समाचारों की रिपोर्टिंग कर रहे थे और पीड़ितों की पीड़ा को दिखा रहे थे और अब हम ही समाचार हैं और इजराइल के अपराधों के कारण पीड़ित हैं।’’ हसबाया क्षेत्र सीमा पर होने वाली हिंसा से अभी तक बचा हुआ था और अब वहां रहने वाले कई पत्रकार पास के शहर मरजायून से आये थे, जहां हाल के हफ़्तों में छिटपुट हमले हुए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में बेरूत के दक्षिणी उपनगरों के बाहरी इलाके में अल-मायादीन के एक कार्यालय पर हमला हुआ था।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि अक्टूबर 2023 की शुरुआत में लेबनान-इजराइल सीमा पर गोलीबारी शुरू होने के बाद से 11 पत्रकार मारे गए हैं और आठ घायल हुए हैं। नवंबर 2023 में ड्रोन हमले में अल-मायादीन टीवी के दो पत्रकार मारे गए थे। इसके अलावा उससे एक महीने पहले दक्षिणी लेबनान में इजराइली गोलाबारी में रॉयटर के वीडियोग्राफर इस्साम अब्दुल्ला की मौत हो गई थी और फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ‘एजेंसी फ्रांस-प्रेस’ और कतर के ‘अल-जजीरा टीवी’ के अन्य पत्रकार घायल हो गए थे।

पत्रकारों के मारे जाने के बाद प्रेस की वकालत करने वाले समूहों और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने इसकी निंदा की, हालांकि इजराइल ने कहा है कि वह जानबूझकर उन्हें निशाना नहीं बनाता है। बृहस्पतिवार को ‘कमेटी टू प्रोटेक्स जर्नलिस्ट’ ने कहा कि उसने युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में 128 पत्रकारों के मारे जाने की जानकारी एकत्रित की है। इजराइल ने अलजजीरा के लिए काम करने वाले पत्रकारों पर आतंकवादी समूहों के सदस्य होने का आरोप लगाया है। उसने यह दावा कथित तौर पर गाजा में पाए गए दस्तावेजों के हवाले से किया है।

नेटवर्क ने इन दावों को “क्षेत्र में बचे हुए कुछ पत्रकारों को चुप कराने का एक जबरदस्त प्रयास” बताते हुए नकार दिया है। ‘कमेटी टू प्रोटेक्स जर्नलिस्ट’ ने भी उन्हें खारिज कर दिया है और कहा है कि ‘‘इजराइल ने विश्वसनीय सबूत पेश किए बिना बार-बार इसी तरह के अप्रमाणित दावे किए हैं।

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