धर्म

Sawan 2025: रिमझिम फुहारों के बीच अंतिम सावन में शिवालयों में गूंजा बमबम भोले का नाम, मनकामेश्वर मंदिर में भोर से लगी श्रद्धालुओं की कतार  – Utkal Mail


प्रयागराज, अमृत विचार। सावन के अंतिम सोमवार को शिवालयों में पूजन, दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु रिमझिम फुहारों के बीच भोर से पहुंचने लगे और दर्शन, पूजन शुरू हो गया। इस दौरान शहर के सबसे प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन के लिए भोर से श्रद्धालुओं की दो किमी से अधिक कतार लग गई जबकि बारिश के दौरान भी श्रद्धालु जरा भी विचलित नहीं हुए। बडी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का पूजन दर्शन कर आशीर्वाद लेते रहे। 

श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गन्ने का रस सहित वस्तुओं से अभिषेक करते हुए भस्म, धतूरा, बेलपत्र, सफेद फूल ,कमल, गुलाब, गेदा के फूल, कनेर का फूल सहित अन्य वस्तुओं से भव्य श्रृंगार कर रहे थे। इसी तरह से श्रद्धालुओं की भीड़ पूजन के लिए शहर के प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर नागवासुकी मंदिर, दरियाबाद स्थित तक्षक तीर्थ मंदिर, सिविल लाइन स्थित श्रीहनुमत निकेतन लालपुर स्थित शंकर जी के प्रसिद्ध मंदिर, शहर से 40 किलोमीटर दूर पडिला मंदिर और लालापुर शिव मंदिर में श्रद्धालु पूजा दर्शन करते रहे।

सावन का अंतिम सोमवार होने की वजह से शिवालियों में भोर से बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चियां, पुरुष और बच्चे दर्शन पूजन करते रहे। यह सिलसिला भोर से शुरू होकर  दोपहर तक चलता रहा।

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अरैल घाट पर चल रहे शंभू सरकार परिवार की ओर से नि:शुल्क असंख्य रुद्र महायज्ञ आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है जो कि 10 अगस्त तक चलेगा। गंगा की बाढ़ और साथ में भक्तों की भीड़ आजकल शंभू सरकार परिवार में दोनों देखने को मिल रही है। 

शंभू सरकार के संस्थापक ज्योतिषाचार्य सत्येन्द्र महाराज का कहना है कि आखिरी सोमवार को बन रहे अनेक शुभ संयोग: सावन के आखिरी सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सनातन धर्म में सर्वार्थ सिद्धि योग को अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किए गए कार्यों का शुभ फल प्राप्त होता है और शिव पूजन के लिए तो बहुत ही शुभ संयोग माना जाता है। भगवान ब्रह्म व इंद्र योग रहेगा। चंद्रमा, अनुराधा नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र से वृश्चिक राशि पर संचार करेंगे।

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संत, महात्माओं के आश्रम में भी चातुर्मास होने की वजह से भगवान भोलेनाथ का पूजन, अर्चन और श्रृंगार  होता रहा। जगदगुरु रामानुजाचार्य नारायणाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी शांडिल जी महाराज श्रृंगवेरपुर धाम, राष्ट्रीय युवा संत महामंडलेश्वर स्वामी सरयू दास जी महाराज, अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज, जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज, जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, परमहंस स्वामी प्रभाकर जी महाराज, धर्मगुरु स्वामी रंजीत जी महाराज , सहित अन्य प्रमुख संत, महात्माओं के आश्रमों में भी चातुर्मास पर पूजन, हवन और भंडारा चल रहा है।

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गहरेबाजी देखने को जुटते हैं हजारों लोग

प्रयागराज में सावन के सोमवार की शाम 4:00 बजे से सड़कों पर गहरेबाजी (तांगो की दौड़) शुरू होती है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं। सड़क के किनारे खड़े होकर गहरेबाजी को देखते हैं जो प्राचीन काल से प्रयागराज में होती रही है। इसमें विजेता तांगे वाला पुरस्कृत होता है। गहरेबाजी में तीन से चार दर्जन घोड़े शामिल होते हैं।

यह भी पढ़ेंः शिव मंदिरों में उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, सुरक्षा के कड़े इंतजाम


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