पार्श्वनाथ धाम रिसाली में श्री 1008 पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विश्वशांति महायज्ञ महा महोत्सव गर्भ कल्याणक दिवस पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने बताया जिनेंद्र वाणी में रचना का सार
भिलाई। पार्श्वनाथ धाम रिसाली में श्री 1008 पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विश्वशांति महायज्ञ महा महोत्सव का शुभारंभ गुरुवार को किया गया। इस मौके पर परमपूज्य आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर महाराज ने अपने अमृत वचनों का शुभारंभ करते हुए हाथ जोड़कर ओम नमः अनंतानंद अंतिम तीर्थेश वर्धमान तीर्थंकर स्वामी के जिन शासन की जिनेंद्र वाणी में रचना का सार बताया।
पार्श्वनाथ धाम रिसाली में श्री 1008 पंचकल्याणक महा महोत्सव के गर्भ कल्याणक दिवस पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने वर्धमान स्वामी के जीनशासन में तीर्थंकर की देशना का संदेश बताते हुए कहा कि धर्म एक रसायन है और जिसने धर्म के इस रसायन को जान लिया वह मोक्ष को पा जाता है। उन्होंने कहा कि जीव तत्व रसायन है अजीव तत्व रसायन है। जीव अजीव की जो रासायनिक क्रिया है वही आश्रव तत्व है इसे समझना चाहिए। जीव अजीव की जो रासायनिक क्रिया है उससे आश्रव होता है। शुद्ध जीव कर्म शून्य है आश्रव विहीन होता है शुद्ध जीव चैतन्य होता है।
आकाश में फैली हुई है दिगंबर मुद्रा
आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि हल्दी में चूने को मिलते हुए तो रक्त वर्ण को तो दुनिया ने देखा है इच्छित वस्तु के ना मिलने पर अनिश्चित वस्तु के मिलने पर रक्त वर्णित आंखों को भी देखो। दिगंबर मुद्रा कपड़ों में लपेटी हुई नहीं है यह आकाश में फैली हुई है। आचार्य ने कहा कि छोटे-मोटे भाव तो कोई भी कर सकता है लेकिन जिन मुद्रा के लिए दिगंबर मुद्रा से बढ़कर कोई बड़ी संपत्ति दिखाई नहीं देती है। मुनि बनकर मुनि भक्त बोल रहा है आज इस धरती पर वीतराग देवता से बढ़कर दूसरी कोई संपत्ति नहीं है।
हम सब झूठा जीवन जी रहे हैं : अचार्य श्री
आचार्य श्री ने कहा कि प्रकाश तो प्रकाश है। चूड़ियां अनेक रंग की होती है चूड़ियों की मैचिंग अनुसार भाव की मैचिंग आप कर रहे हैं लेकिन आश्रव जो होता है वह कर्म होता है। ब्राह्मणी के पुत्र के संबंध में व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि हम सब झूठा जीवन जी रहे हैं और अपने कर्मों की झूठी मैचिंग में जी रहे हैं। आप अपने परिणामों में श्रद्धा रखते हुए अपनी अंतरात्मा में निर्मल भाव के साथ सात्विक भावों की मैचिंग बगैर किसी झूठे दिखावे और राग द्वेश के बगैर जीवन जिए।
इससे पहले आज गर्भ कल्याणक के दिवस पर श्री पार्श्वनाथ धाम के पंचकल्याणक महोत्सव में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के सत्संग मंगल सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य श्री सरस जी बैतूल ने मंत्रोच्चार करते हुए प्रातः 6:30 बजे जिनआज्ञा ,गुरु आज्ञा और भव्य घट यात्रा के साथ, ध्वजारोहण दुर्ग महापौर भाई धीरज बाकलीवाल ने सप्तनिक आचार्य श्री को श्रीफल अर्पण करते हुए मंगल दीप प्रज्वलन कर अहिंसा परमो धर्म की जयकारा के साथ सैकड़ों भक्तों के मध्य भक्ति भाव के साथ किया। इस अवसर पर प्रतिष्ठा मंडप उद्घाटन, मंडप शुद्धि अभिषेक शांतिधारा और आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के मंगल प्रवचन पश्चात सरलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा मंडल प्रतिष्ठा दोपहर में महायाग मंडल आराधना और भव्य पंडाल में माता की गोद भराई का धर्म आयोजन हुआ। जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने माता की गोद भराई कर धर्म लाभ लिया।
पंचकल्याणक महोत्सव के बहुत ही आकर्षक मंच स्थल पर शाम को श्री जिनेंद्र भगवान की मंगल आरती और सौधर्म इंद्र का आसन कंपायमान नाटिका, नगरी की रचना, रत्न वृष्टि, माता की सेवा,16 स्वप्न फलादेश एवं गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं की गई। इस अवसर पर भगवान के माता-पिता बने पार्श्वनाथ धाम के संस्थापक प्रभात-छाया जैन, अरविंद जैन, संतोष जैन, सुधीर जैन, राजेश जैन, सुनील जैन, महेश जैन, प्रदीप जैन आदि इंद्र इंद्राणी ने परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी को सत्संग श्रीफल अर्पण करते हुए नमोस्तु किया और आगे की धार्मिक क्रियाएं भी की।
इस अवसर पर प्रभात जैन,महामंत्री प्रमेंद्र जैन, प्रचार प्रसार प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल भागचंद जैन एवं भिलाई दुर्ग जैन समाज के अनेक विशिष्ट धर्म प्रेमी की उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से रायपुर के नरेंद्र जैन, गुरु कृपा, राजेश जैन, विजय जैन, कजोड़ मल जैन, किशोर बड़जात्या, इंदर चंद बाकलीवाल, जिनेंद्र जैन, कमल पाटनी, निशांत जैन, डॉक्टर आरके जैन, संजीव जैन, संजय चतुर, राकेश छाबड़ा, महावीर पाटनी, नेमीचंद बाकलीवाल, दिनेश जैन, अमित गोधा, भरत बाकलीवाल, अरुण बाकलीवाल, सचिन जैन, महेंद्र जैन, महावीर गंगवाल, ज्ञानचंद पाटनी, भारत जैन, अजीत जैन, कमलेश जैन, सुरेश जैन आदि के साथ सैकड़ों माता बहनों ने धर्म लाभ लिया। आज आचार्य श्री के मंगल आहार चर्या चार मुनियों के दीक्षा दिवस अवसर पर हुई थी।
11 को होगा जन्म कल्याणक
प्रचार प्रसार प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल ने बताया कि 11 नवम्बर शुक्रवार को जन्म कल्याणक के अंतर्गत प्रात: 5:30 बजे जाप्यानुष्ठान, अभिषेक, शांतिधारा, नित्य पूजन, गर्भ कल्याणक पूजन, प्रातः 7.00 बजे तीर्थकर प्रभु के जन्म की आंतरिक विधि, प्रातः 7.30 बजे जन्मोत्सव का मांगलिक मंचीय कार्यक्रम, प्रातः 9.30 आचार्य श्री के मंगल प्रवचन, प्रातः 10.45 जन्म कल्याणक की भव्य शोभा यात्रा, दोप. 1.15 पाण्डुक शिला पर तीर्थकर बालक का जन्माभिषेक, दोपहर 3.30 आचार्य श्री के मंगल प्रवचन, संध्या 6.30 संगीतमय मंगल आरती, शास्त्र सभा, सौधर्म इंद्र द्वारा तांडव नृत्य, तीर्थकर प्रभु का पालना, देव कुमारों संग तीर्थंकर प्रभु की बालक्रीड़ा का आयोजन होगा।