श्री राम और भरत के नि:स्वार्थ प्रेम में विश्व बंधुत्व का पवित्रतम निर्मल भाव निहित -पं. दीक्षित
भिलाई। शिवानंद योग निकेतन के संयुक्त तत्वावधान सात दिवसीय श्री राम कथा का विधिवत समापन शुक्रवार की शाम हो गया। कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई के परिसर में कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान राम जानकी के पूजन, दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से किया गया।
इस दौरान स्टील सिटी भिलाई छत्तीसगढ़ के सुविख्यात शिक्षाविद्, कर्मयोगी, आध्यात्मिक, पौराणिक,ऐतिहासिक विषयों के ज्ञाता कथावाचक व कुशल वक्ता एम एम त्रिपाठी (चेयरमैन कृष्णा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस) ने रामायण के भिन्न-भिन्न पात्रों की चर्चा करते हुए आज के प्रसंग में हनुमान जी के बारे में कुछ ऐसी बातों की जानकारी दी जिससे लगभग सभी श्रोतागण अनभिज्ञ थे।
तत्पश्चात उन्होंने कथावाचक नीलमणि दीक्षित को अद्वितीय, अविस्मरणीय भूमिका की चर्चा करते हुए रामचरितमानस की पीयूष धारा को प्रवाहित कर जनमानस को धन्य करने वाला कहकर उनका धन्यवाद ज्ञापन किया। इसके बाद के- के सिंघल ने पंडित नीलमणि दीक्षित के सुमधुर गायन वादन की प्रशंसा करते हुए कहा कि रामचरितमानस की पंक्तियों में ऐसा गूढ़ अर्थ छिपा है इसका ज्ञान हम लोगों को पहली बार प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहां कि ऐसे ज्ञानी ,संत , महात्मा का सानिध्य पाकर हम खुद को बड़ा ही सौभाग्यशाली मान रहे हैं। तत्पश्चात रमेश तिवारी ने एम एम त्रिपाठी के विषय में कहा कि वे स्वयं चलते फिरते राम कथा के संकलन हैं। उन्होंने कहा कि नीलमणि दीक्षित संत महात्मा ही समाज का पाथेय हैं।
इसके बाद पंडित नीलमणि दीक्षित ने मानस प्रसंग में कहा कि चित्रकूट में सभी एक दूसरे को प्रणाम कर रहे हैं जब माता सीता अपनी माताओं को प्रणाम कर रही हैं तब सभी माताएं गदगद होकर उन्हें सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दे रही हैं।