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कोर्ट का आदेश बेअसर! ट्रंप प्रशासन ने सैकड़ों प्रवासियों को अल सल्वाडोर भेजा – Utkal Mail

वाशिंगटन। अमेरिका में एक संघीय न्यायाधीश द्वारा 18वीं सदी के युद्धकालीन अधिनियम के तहत निर्वासन पर अस्थायी रूप से रोक लगाने का आदेश जारी किए जाने के बावजूद देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने सैकड़ों प्रवासियों को अल साल्वाडोर भेज दिया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। न्यायाधीश ने अधिनियम के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का जब आदेश दिया, प्रवासियों को ले जा रहे विमान उससे पहले ही उड़ान भर चुके थे। ट्रंप ने निर्वासन में तेजी लाने के लिए 18वीं सदी के कानून का इस्तेमाल किए जाने की घोषणा की 

इसके कुछ ही घंटों बाद ‘यूएस डिस्ट्रिक्ट जज’ जेम्स ई बोसबर्ग ने इस पर रोक लगाए जाने का शनिवार को आदेश जारी किया लेकिन वकीलों ने उन्हें बताया कि दो विमान प्रवासियों को लेकर अल साल्वाडोर और होंडुरास की ओर पहले की उड़ान भर चुके हैं। बोसबर्ग ने विमानों को वापस लौटने का मौखिक आदेश दिया लेकिन जाहिर तौर पर ऐसा नहीं किया गया और न्यायाधीश के लिखित आदेश में भी यह निर्देश शामिल नहीं था। अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने रविवार को एक बयान में इन अटकलों का जवाब दिया कि क्या प्रशासन अदालती आदेशों का उल्लंघन कर रहा है। 

उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन ने अदालती आदेश का पालन करने से इनकार नहीं किया। इस आदेश का कोई वैधानिक आधार नहीं है और यह ‘टीडीए’ के विदेशी आतंकवादियों को अमेरिकी क्षेत्र से पहले ही हटा दिए जाने के बाद जारी किया गया था।’’ टीडीए का तात्पर्य ‘ट्रेन डी अरागुआ’ गिरोह से है जिसे ट्रंप ने शनिवार को जारी घोषणा में निशाना बनाया था। ट्रंप प्रशासन ने 18वीं सदी के कानून का इस्तेमाल करने की घोषणा करते हुए शनिवार को कहा था कि वेनेजुएला का एक गिरोह अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है और प्रशासन के पास उसके सदस्यों को देश से बाहर निकालने के लिए नयी शक्तियां हैं।

 ट्रंप ने 1798 के ‘एलियन एनीमीज एक्स’ (विदेशी शत्रु अधिनियम) को लागू करने की घोषणा करते हुए दावा किया कि वेनेजुएला का गिरोह ‘ट्रेन डी अरागुआ’ अमेरिका पर आक्रमण कर रहा है। यह अधिनियम राष्ट्रपति को निर्वासन में बड़े पैमाने पर तेजी लाने के लिए नीतिगत और कार्यकारी कार्रवाई के संबंध में व्यापक छूट देता है। अमेरिकी इतिहास में इस अधिनियम का इस्तेमाल अब तक केवल तीन बार हुआ है और वह भी केवल युद्ध के दौरान किया गया। इससे पहले इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था। उस समय जर्मन और इतालवी लोगों को कैद करने के साथ-साथ जापानी-अमेरिकी नागरिकों को सामूहिक रूप से नजरबंद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था। 

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