भारत में EV वाहन के बढ़ते उपयोग को लेकर सामने आई रिपोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 9 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत – Utkal Mail

दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण, लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 2030 तक करीब 6,900 एकड़ भूमि और नौ अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। रियल एस्टेट परामर्शदाता सेविल्स इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
बाजार ताकतों, सरकारी नीतियों, पर्यावरण संबंधी बढ़ती चिंताओं और ईंधन की बढ़ती लागत इसकी मुख्य वजह है। सरकार ने ईवी अपनाने में तेजी लाने और सहायक परिवेश को मजबूत करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। सलाहकार ने कहा, ‘‘ 2030 तक भूमि अधिग्रहण और ईवी विनिर्माण, लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन के लिए सुविधाओं के विकास के लिए 7.5 से नौ अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।’
ईवी को काफी अधिक अपनाने के परिदृश्य में आवश्यक निवेश नौ अरब अमेरिकी डॉलर होगा जबकि मध्यम स्तर पर अपनाए जाने पर 7.5 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि 2030 तक ईवी विनिर्माण, लिथियम-आयन बैटरी संयंत्रों और सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए 5,760 से 6,852 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।
सेविल्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक) श्रीनिवास एन. ने कहा, ‘ 2030 तक 30 प्रतिशत तक ईवी का अपनाया जाना भारत के लक्ष्य के अनुरूप, ईवी अपनाने में वृद्धि से रियल एस्टेट क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि ईवी की बढ़ती मांग से कई रियल एस्टेट खंडों की आवश्यकता बढ़ेगी।
इसमें ईवी व बैटरी विनिर्माण, ईवी ‘असेंबली’ इकाइयों और ईवी घटकों एवं बैटरियों के भंडारण तथा वितरण को समर्थन देने के लिए औद्योगिक और गोदाम स्थान शामिल हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट के अनुमानों के अनुसार, भारत में ईवी बिक्री 2030 तक 2.53-3.18 करोड़ इकाई तक पहुंच जाएगी।
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