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टेस्ट क्रिकेट को केवल ‘बिग थ्री’ तक सीमित नहीं रख सकते: ग्राहम गूच – Utkal Mail

लंदन। दिग्गज बल्लेबाज ग्राहम गूच का कहना है कि भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की शृंखला टेस्ट क्रिकेट के लिए एक बेहतरीन प्रेरणा है, जो वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालांकि, उन्हें आशंका है कि भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे ‘बिग थ्री’ देशों के बीच बार-बार लंबी शृंखलाएं खेलने की प्रवृत्ति लंबे समय में एकरसता और ठहराव का कारण बन सकती है। आजकल टेस्ट क्रिकेट का अधिकांश हिस्सा इन्हीं तीन देशों के बीच खेला जा रहा है, जो पांच मैचों की शृंखलाओं में एक-दूसरे से भिड़ते हैं। वहीं, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड जैसे आर्थिक रूप से कमजोर देश केवल दो या तीन मैचों की छोटी शृंखलाओं तक सीमित रह जाते हैं। 

पांचवें और अंतिम टेस्ट के मौके पर बातचीत में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान गूच ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट को इन तीन बड़े देशों से आगे बढ़कर सभी देशों में फलना-फूलना चाहिए। उन्होंने कहा, “आईसीसी को टेस्ट क्रिकेट पर विशेष ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक रूप से कमजोर देशों को समर्थन मिले। मैं छोटे देशों की बात नहीं कर रहा, बल्कि उन देशों की बात कर रहा हूं जिनके पास आर्थिक संसाधन कम हैं।” 

टेस्ट क्रिकेट में 8900 रन बनाने वाले इंग्लैंड के तीसरे सबसे सफल बल्लेबाज, 72 वर्षीय गूच ने कहा, “टेस्ट क्रिकेट को जीवित रखना जरूरी है। आप केवल तीन देशों के बीच ही नहीं खेल सकते। अगर वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड या दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें कम टेस्ट खेलेंगी, तो अंततः खेल के लिए कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं बचेगा। इसलिए, टेस्ट क्रिकेट को पूर्ण समर्थन की जरूरत है।”

भारत और इंग्लैंड के बीच इस शृंखला में कांटे की टक्कर देखने को मिली है, और गूच इस रोमांचक क्रिकेट और कड़े मुकाबलों से पैदा हुए उत्साह से बेहद संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, “यह एक शानदार शृंखला रही है और टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत अच्छी है। फ्रेंचाइजी क्रिकेट ने विश्व भर में अपनी छाप छोड़ी है, और टेस्ट क्रिकेट दबाव में है। लेकिन इस तरह की शृंखलाएं, जिसमें रोमांच, बेहतरीन क्रिकेट, ढेर सारे रन, शानदार गेंदबाजी और कभी-कभी थोड़ा तनाव भी शामिल होता है, मुझे प्रभावित करती हैं। मुझे इसकी परवाह नहीं कि खेल में थोड़ी नोकझोंक हो।”

उन्होंने आगे कहा, “दोनों टीमों ने जबरदस्त जज्बा दिखाया है, और यह वाकई शानदार रहा है।” लगभग 45 हजार प्रथम श्रेणी रन बनाने वाले गूच का मानना है कि रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास के बाद भी भारत ने अनुभवहीनता के बावजूद मेजबान इंग्लैंड को कड़ी चुनौती दी। उन्होंने कहा, “जब एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुलता है। आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि बड़े खिलाड़ी हमेशा खेलते रहेंगे। एक समय आता है जब वे संन्यास ले लेते हैं। जिन दो खिलाड़ियों का जिक्र हुआ, उन्होंने भारत और क्रिकेट के लिए शानदार योगदान दिया है। अब समय है कि नए खिलाड़ी सामने आएं, और भारतीय युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है।”

गूच ने कप्तान शुभमन गिल की तारीफ करते हुए कहा, “वह एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और इस शृंखला में उनका प्रदर्शन कमाल का रहा है। मुझे उम्मीद है कि वह भविष्य में ढेर सारे रन बनाएंगे और भारत को कई जीत दिलाएंगे। भारतीय टीम अच्छे हाथों में है।” गिल ने इस शृंखला में 754 रन बनाए, जो सुनील गावस्कर के किसी भारतीय द्वारा एक टेस्ट शृंखला में सर्वाधिक रनों के रिकॉर्ड से सिर्फ 20 रन कम हैं। गूच को गिल की बल्लेबाजी में कोई तकनीकी खामी नजर नहीं आई। उन्होंने कहा, “उनकी तकनीक शानदार है, और इस शृंखला में उनकी एकाग्रता और धैर्य काबिलेतारीफ रहा है।”

गूच ने यह भी बताया कि चोटिल बेन स्टोक्स की अनुपस्थिति ने इंग्लैंड की गेंदबाजी को प्रभावित किया और उनकी कप्तानी पर टीम की निर्भरता को उजागर किया। उन्होंने कहा, “स्टोक्स इस सीजन में शानदार रहे हैं। वह टीम को संतुलन प्रदान करते हैं। उनके न खेलने से इंग्लैंड को एक बल्लेबाज कम करना पड़ा। मेरे विचार से चार गेंदबाजों के साथ खेलने के लिए आपको दो विश्वस्तरीय गेंदबाज चाहिए, जो इंग्लैंड के पास अभी नहीं हैं।”

गूच ने स्टोक्स और मोहम्मद सिराज में समानताएं भी देखीं। दोनों ने इस शृंखला में अपने शरीर की परवाह किए बिना लंबे स्पैल फेंके। उन्होंने कहा, “सिराज के लिए मेरे पास बहुत सम्मान है। वह बेहद जुनूनी हैं और हर गेंद में पूरी ताकत झोंक देते हैं। स्टोक्स भी कुछ ऐसा ही करते हैं। वह मैदान पर पूरी मेहनत करते हैं और कोई कसर नहीं छोड़ते।”

अंत में, गूच ने शृंखला के दौरान मैदान पर देखे गए तनाव का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “जब आप किसी देश के खिलाफ कड़ी प्रतिस्पर्धा में खेल रहे होते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जोश और कभी-कभी थोड़ा गुस्सा स्वाभाविक है। हो सकता है कि गर्मजोशी में कुछ ऐसी बातें कह दी जाएं, जिनका बाद में पछतावा हो। लेकिन यह सब खेल की गहमागहमी में होता है, और मुझे नहीं लगता कि यह बाद में भी जारी रहता है।”

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