धर्म

Maha Kumbh 2025 : साध्वी की वेशभूषा में छाई हर्षा रिछारिया, माता-पिता बोले जल्द करेंगे बेटी की शादी, चल रही है रिश्ते की बात – Utkal Mail

अमृत विचार, प्रयागराज : महाकुंभ में पेशवाई के दौरान रथ पर सवार होने को लेकर छिड़े विवाद के बाद चर्चा में आई मॉडल हर्षा रिछारिया ने साध्वी न बनने और शादी करने की बात पर कहा है कि मै साध्वी नहीं हूं। मै जल्द ही शादी करूंगी। यह बात उनके माता और पिता ने भी बताई है। 

मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हर्षा रिछारिया उत्तराखंड में रहती है। वह महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि की शिष्या है। कुछ दिनों पूर्व महाकुंभ में आने के दौरान वह अखाड़े की पेशवाई में रथ पर सवार होकर निकली थीं। जिसके बाद सुर्खियों में आ गई। महाकुंभ में साध्वी बनने और दीक्षा लेने की बात पर मामला तूल पकड़ने लगा। जिसके बाद हर्षा रिछारिया ने कहा कि वह शादी करेंगी। पिता दिनेश रिछारिया ने भी इस बात को लेकर बड़ा खुलासा किया है। हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया और मां किरण ने बताया कि  बेटी हर्षा का सनातन धर्म और अध्यात्म की ओर केवल झुकाव हुआ है। वह कोई साध्वी नहीं बनी है। बेटी की शादी के लिए दो लड़के देखे गए है। शादी की बात चल रही है। जल्द ही रिश्ता पक्का होने पर शादी कर दी जाएगी। 

हर्षा रिछारिया पर महामंडलेश्वर ने उठाया सवाल
महाकुंभ में आईं मॉडल हर्षा रिछारिया के साध्वी वेशभूषा को लेकर एक और महामंडलेश्वर ने सवाल उठाया है। महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने हर्षा रिछारिया को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के द्वारा जारी किए गए बयान का पूरा समर्थन किया है। महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने कहा है कि पेशवाई के दौरान उन्हें शाही रथ पर नहीं बैठना चाहिए था। महाकुंभ में उत्तराखंड से आईं मॉडल हर्षा रिछारिया के पहले अमृत स्नान में शामिल होने और महामंडलेश्वर के शाही रथ पर बैठने को लेकर शुरु हिए विवाद बढ़ता जा रहा है। अखाड़े के साधू संतों ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

इस प्रकरण में ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया है।जिसका श्री पंच दशनाम जूना अखाडा की महामंडलेश्वर मां होग योगेश्वरी यति ने पूरा समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर सनातन धर्म से जुड़कर साध्वी बनना था तो हर्षा को ऐसे अचानक से सामने नहीं आना था। उन्हें ग्लैमर की चमक धमक की दुनिया से अलग होने के बाद 12 वर्षो तक गुमनाम तरीके से जीवन जीना और जप-तप करना चाहिए था। उन्हें इस तरह से शाही रथ पर नहीं बैठना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं हो सका है कि वह सन्यास की दीक्षा लेंगी या शादी करेंगी। इस तरह से भगवा पहनकर शाही रथ पर बैठना अशोभनीय और गलत था। उन्हें आम जनमानस की तरह गंगा स्नान कर चले जाना था।

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